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क्या जिनपिंग ट्रंप के दबाव में आ गए? चीन के रूस से तेल खरीद में भारी गिरावट की वजह क्या

चीन ने रूसी तेल की खरीद कम कर दी है. नए आंकड़ों से पता चला है कि अगस्त में चीन रूस के बजाए अन्य देशों से अधिक तेल ले रहा है. यह ऐसे वक्त में किया गया है जब रूसी तेल की खरीद को लेकर ट्रंप ने भारत पर 25% का टैरिफ लगा दिया है.

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चीन रूस से कच्चे तेल की खरीददारी में कमी ला हा है (Photo- Reuters)
चीन रूस से कच्चे तेल की खरीददारी में कमी ला हा है (Photo- Reuters)

रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर बढ़े अमेरिकी दबाव के बीच चीन से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, चीन ने रूस से तेल की खरीद कम कर दी है और वो तेल के लिए रूस के बजाए अन्य देशों का रुख कर रहा है. चीन ने अगस्त के महीने में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 15% कम कच्चा तेल आयात किया है. 

चीन रूस से अपनी तेल खरीद कम तो कर रहा है, हालांकि, अमेरिका से अपनी खरीददारी को भी उसने लगातार तीसरे महीने भी सस्पेंड रखा है.

आंकड़ों के मुताबिक, मात्रा के हिसाब से चीन ने पिछले साल की तुलना में अगस्त में रूस से 15.2% कम कच्चा तेल खरीदा जो कुल 79.4 लाख टन रहा. विश्लेषकों का कहना है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह गिरावट अस्थायी उतार-चढ़ाव है या व्यापक रुझान का संकेत है.

रूस के बजाए ब्राजील, इंडोनेशिया से ज्यादा तेल ले रहा चीन

नए कस्टम डेटा से पता चलता है कि चीन ने रूसी तेल की खरीद कम की है और उस कमी को पूरा करने के लिए ब्राजील और इंडोनेशिया से तेल खरीद बढ़ा दी. ब्राजील से चीन का आयात 50.4% बढ़कर 51.9 लाख टन हो गया और इंडोनेशिया से आयात लगभग 90 गुना बढ़कर 26.6 लाख टन हो गया.

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चीन के कुल कच्चे तेल का आयात अगस्त में 4.949 टन पर स्थिर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 0.8% की मामूली बढ़ोतरी दिखाता है.

एनर्जी इंटेलिजेंस फर्म Vortexa की सीनियर मार्केट एनालिस्ट एम्मा ली के अनुसार, अगस्त में रूस से कच्चे तेल की कम खरीद की वजह प्रोडक्शन स्थलों पर मेंटेनेंस के काम की वजह से हो सकता है जो कि अस्थायी होगा.

खास तौर पर, रूस के सुदूर पूर्व में स्थित सखालिन-1 प्रोजेक्ट को लेकर पहले से ही रिपोर्टें आ रही थीं कि प्रोडक्शन साइट पर मेंटेनेंस का काम शुरू होगा. रिपोर्टों में बता दिया गया था कि मेंटेनेंस के काम की वजह से कच्चे तेल का उत्पादन रुक सकता है.

भारत पर ट्रंप के टैरिफ ने चीन को डराया

हालांकि, Economist Intelligence Unit के सीनियर एनालिस्ट चिम ली ने कहा कि अगस्त का डेटा दिखाता है कि पिछले साल के अंत से चीन के रूसी तेल की खरीद में लगातार गिरावट आ रही है. इस महीने बस जुलाई के महीने में रूस से चीन के तेल खरीद में बढ़ोतरी आई थी.

रूस अभी भी चीन का सबसे बड़ा कच्चे तेल सप्लायर बना हुआ है, लेकिन चीनी कस्टम्स डेटा दिखाता है कि साल के पहले आठ महीनों में रूस से आयात 8.6% गिरा, जबकि कुल आयात में मामूली बढ़ोतरी हुई है.

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ली ने कहा, 'चीनी के खरीददार अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों के खतरे को कम करना चाहते हैं, खासकर तब से जब अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने वालों के खिलाफ सजा देने वाली कार्रवाई की धमकी दी है.'

अगस्त में, अमेरिका ने रूसी तेल के दूसरे सबसे बड़े खरीददार भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया था.

और इस महीने की शुरुआत में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से अपील की थी कि रूस से तेल खरीदने को लेकर चीन पर भी सामुहिक रूप से टैरिफ लगाए जाएं. ट्रंप ने चीन पर भी भारत जैसा ही आरोप लगाते हुए कहा था कि रूसी तेल की खरीद से यूक्रेन युद्ध में रूस को मदद हो रही है.

चीन पर दंडात्मक टैरिफ लगाने से बच रहे ट्रंप

हालांकि, कई बार सार्वजनिक बयान देने के बावजूद, ट्रंप अब तक चीन पर टैरिफ लगाने से हिचकिचा रहे हैं. चीन और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है जो 10 नवंबर को समाप्त होगी. इस व्यापार को लेकर वो चीन के साथ बड़ी सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं.

शुक्रवार को, ट्रंप और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने फोन पर बातचीत की, इससे कुछ दिन पहले दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने मैड्रिड में नए दौर की वार्ता की थी. लेकिन फोन कॉल के बाद बहुत कम जानकारी शेयर की गई.

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