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बांग्लादेश में सत्ता संघर्ष गहराया, शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग पर अंतरिम सरकार ने लगाया बैन

बांग्लादेश ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की आवामी लीग को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत अवैध घोषित कर दिया गया है. दो दिन पहले अंतरिम सरकार ने पार्टी की सभी गतिविधियों पर रोक लगाई थी. आवामी लीग का बांग्लादेश के इतिहास में स्वायत्तता और स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा है.

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की पार्टी को गैरकानूनी करार देकर बैन लगाया ( फोटो क्रेडिट - पीटीआई)
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की पार्टी को गैरकानूनी करार देकर बैन लगाया ( फोटो क्रेडिट - पीटीआई)

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार मुहम्मद यूनुस की ओर से संशोधित आतंकवाद विरोधी कानून के तहत अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी, आवामी लीग पर आधिकारिक तौर से बयान लगा दिया गया है. दो दिन पहले यूनुस की सरकार ने पार्टी की 'सभी गतिविधियों' पर रोक लगा दी थी. गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम ने मीडिया को बताया कि इस संबंध में सरकारी अधिसूचना जारी कर दी गई है. 

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गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, संशोधित आतंकवाद विरोधी अधिनियम 2025 की धारा 18 सरकार को ताकत देती है कि वह वह किसी संगठन या किसी व्यक्ति पर आतंकवाद से जुड़े मामलों को लेकर बैन लगा सकता है. पहले ये कानून नहीं था. 2009 के कानून के हिसाब से पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी.

अब आवामी लीग पार्टी चुनाव नहीं लड़ सकेगी. बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने पार्टी के रेजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया है. आयोग के सचिव अख्तर अहमद ने कहा कि गृह मंत्रालय की ओर से पार्टी के किसी भी तरह के गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाई गई है, जिसके बाद चुनाव आयोग ने भी रेजिस्ट्रेशन को रद्द करने का फैसला लिया.

आवामी लीग पर क्या है आरोप?

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का आरोप है कि 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान सैकड़ों लोगों की हत्या हुई थी, जिसमें आवामी लीग के नेता शामिल थे. 

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2024 में हुए छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना की 16 सालों की सत्ता चला गई, जिसके बाद उन्होंने भारत का शरण लिया.

11 मई, रविवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम में संशोधन करते हुए एक ओरडिनेंस जारी किया था. जिसके तहत आवामी लीग पार्टी और इसके नेताओं के समर्थन में किसी भी प्रकार के रैलियों, मीडिया में बयानों या सोशल मीडिया प्रचार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई.

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