मुहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतिरम सरकार ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर बैन लगा दिया है. यह फैसला आतंकवाद विरोधी कानून के तहत लिया गया है. अवामी लीग ने इस बैन का विरोध जताते हुए कहा कि दमनकारी और अलोकतांत्रिक निर्णय बताया है.
यूनुस सरकार ने क्या कहा?
यूनुस सरकार ने कहा है कि आतंकवाद विरोधी कानून के तहत आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसकी आधिकारिक सूचना अगले कार्यदिवस पर जारी की जाएगी. यह प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा जब तक आवामी लीग के नेताओं के खिलाफ इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल में मुकदमे पूरे नहीं हो जाते.
मुहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया. साथ ही इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (आईसीटी) कानून में संशोधन किया गया. जिसके तहत किसी भी राजनीतिक दल, उसके नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई.
प्रतिबंध पर क्या बोली आवामी लीग?
आवामी लीग ने यूनुस सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंध का विरोध किया है. आवामी लीग ने कहा है कि यूनुस सरकार का यह फैसला बांग्लादेश को तानाशाही दिशा में धकेल रहा है.
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आवामी लीग ने अंतरराष्ट्रीय समुदायों और मानवाधिकार संगठनों से अपील की है कि वे इस अलोकतांत्रिक निर्णय की निंदा करें. साथ ही लोगों से एकजुटता दिखाने को कहा गया है. आवामी लीग ने कहा कि प्रतिबंध लगाकर बांग्लादेश की पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है. यह बांग्लादेश के इतिहास का काला दिन है.
आवामी लीग का इतिहास
आवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी पार्टी है. 1971 में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिली थी. 2024 में हुए आंदोलन के बाद शेख हसीना को मजबूर भारत में शरण लेना पड़ा और वहां मुहम्मद यूनुस ने सरकार बना ली.