बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत इस्लामिक कट्टरपंथियों और दंगाइयों का मनोबल कितना बढ़ गया है, यह हाल की एक घटना में देखने को मिला है. दंगाइयों ने भारत के नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ टैगोर के सिराजनगर, कचहरीबाड़ी स्थित पैतृक घर पर हमला कर उसे क्षतिग्रस्त कर दिया है. टैगोर का पैतृक घर रबीन्द्र कचहरीबाड़ी के नाम से जाना जाता था जो कि अब एक म्यूजियम बना दिया गया है.
इसी म्यूजियम में हुई तोड़फोड़ पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी जिसके बाद बांग्लादेश ने दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में जानकारी दी कि इस संबंध में दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है.
बांग्लादेश के मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, 'घटना के बाद, 10 जून को स्थानीय पुलिस में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. इस संबंध में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. जिला प्रशासन ने इस संबंध में एक स्थानीय जांच बोर्ड का गठन किया है. स्थानीय अधिकारियों उचित कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं.'
बयान में मंत्रालय ने आगे कहा कि बांग्लादेश देश की सांस्कृतिक विरासत में उल्लेखनीय योगदान के लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर का सम्मान करता है. इसमें कहा गया कि बांग्लादेश की सरकार और इसके लोग दोनों ही उनकी विरासत को संजोकर रखेंगे. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि देश में इस तरह के कृत्यों की कोई जगह नहीं है.
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इस बर्बरता की कड़ी निंदा की थी और इसे 'नफरती' और 'हिंसक' कृत्य बताया जो टैगोर की स्मृति और उनके द्वारा स्थापित मूल्यों का अपमान करता है.
इससे पहले गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे बांग्लादेश के समक्ष इस मामले को उठाने का आग्रह किया था. पत्र में यह भी मांग की गई थी कि बांग्लादेश से कहा जाए कि वो अपराधियों को तुरंत न्याय के कटघरे में खड़ा करे.
कैसे दंगाइयों ने टैगोर पर घर पर की तोड़फोड़
बताया जा रहा है कि 8 जून को एक शख्स अपने परिवार के साथ रबीन्द्रनाथ टैगोर म्यूजियम में घूमने आया था. मोटरसाइकिल पार्किंग फीस को लेकर म्यूजियम की देखरेख कर रहे लोगों और शख्स के बीच बहस हो गई जिसके बाद कथित तौर पर शख्स को एक कमरे में बंद कर उसके साथ मारपीट की गई.
घटना से नाराज स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और बाद में जाकर भीड़ ने कचहरीबाड़ी के सभागार पर हमला कर दिया. सभागार में तोड़फोड़ की गई और संस्था के निदेशक को पीटा भी गया.
कचहरीबाड़ी में रबीन्द्रनाथ टैगोर ने बिताया था काफी वक्त
कचहरीबाड़ी रबीन्द्रनाथ टैगोर का पैतृक घर था जिसकी हवेली में ही टैगोर का साहित्य की तरफ झुकाव हुआ था. टैगोर परिवार के पास कचहरीबाड़ी की जमींदारी थी और 1890 के दशक में रबीन्द्रनाथ टैगोर ने यहां की जमींदारी की देखरेख की. इसी दौरान उन्होंने ग्रामीण जीवन को करीब से देखा और उसे अपनी लेखनी में उतारा.
उन्होंने यही रहते हुए कई प्रसिद्ध कवितांएं, लघु कथाएं और गीत लिखे. यहां रहते हुए उन्होंने संगीत साधना भी की जो आगे चलकर रबीन्द्र संगीत कहलाया.