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PM से भी ज्यादा पावर, पूरे PAK का होगा रिमोट कंट्रोल... फिर भी आसिम मुनीर को किस बात का सता रहा डर?

पाकिस्तान की संसद में प्रस्तावित इस संशोधन से आसिम मुनीर की शक्तियां तो बढे़गी ही. साथ में इससे उच्च न्यायालयों के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव भी होगा और राष्ट्रपति को आजीवन आपराधिक मामलों से सुरक्षा मिलेगी.

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आसिम मुनीर की बढ़ने जा रही है शक्तियां (Photo: Reuters)
आसिम मुनीर की बढ़ने जा रही है शक्तियां (Photo: Reuters)

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर की शक्तियां लगातार बढ़ रही हैं. मई महीने में उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई थी. लेकिन इन सबके बीच विपक्षी पार्टियां शहबाज शरीफ सरकार और मुनीर के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन कर रही है. 

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोन विधेयक पारित करने की तैयारी में है, जिनसे आसिम मुनीर की शक्तियों का दायरा बढ़ने वाला है. विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि इससे संविधान की बुनियाद हिल जाएगी.

शहबाज शरीफ द्वारा प्रस्तावित 27वें संवैधानिक संशोधन से पाकिस्तान की सरकारी संस्थाओं के बीच शक्तियों का संतुलन बदलेगा, विशेष रूप से इससे सेना की भूमिका और मजबूत होगी. इस संशोधन के जरिए एक अत्यधिक शक्तिशाली पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बनाने का प्रावधान है, जो पद सेना प्रमुख के पास होगा. इस तरह मुनीर संवैधानिक रूप से सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों सेनाओं के सर्वोच्च प्रमुख भी बन जाएंगे.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि 27वें संशोधन के बाद फील्ड मार्शल को आजीवन विशेषाधिकार मिल जाएंगा और उनके खिलाफ उनके पूरे जीवन में कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकेगा. आसिम मुनीर अपने ही कारनामों से इतने डरे हुए हैं कि वह अपने चारों ओर सुरक्षा की एक दीवार खड़ी कर रहे हैं. उन्हें डर है कि देश की जो बदहाली उन्होंने की है, उसके लिए उन्हें कटघरे में खड़ा होना पड़ेगा इसलिए वो खुद के लिए आजीवन सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं.

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इस संशोधन में एक फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट (FCC) स्थापित करने का भी प्रस्ताव है, जो सुप्रीम कोर्ट की कुछ शक्तियां भी अपने हाथ में ले लेगा, जिनमें संविधान की व्याख्या करना और संघ तथा प्रांतों के बीच होने वाले विवादों का निपटारा शामिल है.

राजनीतिक विश्लेषक हबीब अकरम ने इसकी तुलना जनरल जिया-उल-हक के आठवें संशोधन से करते हुए कहा कि 27वें संशोधन के बाद पाकिस्तान के राजनीतिक विवादों का समाधान अदालतों की पहुंच से बाहर हो जाएगा. इससे कटुता बढ़ेगी और इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.

विपक्षी नेता अबूजर सलमान नियाजी ने कहा कि सत्ता के दरबार में पाकिस्तान का संविधान और उसकी न्यायपालिका कानून के प्रति वफादारी और स्वतंत्रता के जुर्म में दोषी ठहराए गए. 26वें और 27वें संशोधनों के तहत मौत की सजा सुना दी गई.

27वें संवैधानिक संशोधन पर इस हफ्ते सीनेट में चर्चा हुई. कानून मंत्री आजम नजीर ने इस विधेयक को शनिवार को पेश कर आगे की चर्चा के लिए एक समिति के पास भेज दिया. उम्मीद है कि इसे सोमवार तक मतदान के लिए पेश किया जा सकता है. सरकार को विश्वास है कि वह आवश्यक दो-तिहाई बहुमत (कम से कम 64 सीनेटर) हासिल कर लेगी.

यदि यह संशोधन पारित हो जाता है, तो यह पाकिस्तान के हालिया इतिहास में संविधान में किए गए सबसे व्यापक बदलावों में से एक होगा. वहीं, फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट की स्थापना को लेकर विशेष चिंता जताई जा रही है, क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक निगरानी की भूमिका लगभग समाप्त हो जाएगी और इसे केवल नागरिक, आपराधिक और वैधानिक मामलों की अपीलीय अदालत की भूमिका तक सीमित कर दिया जाएगा.

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