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चलती ट्रेन में सेना के सिपाही ने किया करिश्मा, आठ महीने के मासूम को दी नई जिंदगी

भारतीय सेना के एक सिपाही ने चलती ट्रेन में मासूम की जान बचाकर मानवीय संवेदना की शानदार मिसाल पेश की है. नॉर्थ-ईस्ट इलाके में तैनात सिपाही सुनील ने चलती राजधानी एक्सप्रेस में बिना किसी चिकित्सा उपकरण के 'माउथ-टू-माउथ' सीपीआर देकर एक बच्चे को जीवनदान दे दिया. उनके त्वरित निर्णय और शांत स्वभाव ने एक मासूम की सांसें लौटा दीं.

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सेना के जवान ने बचाई बच्चे की जान (Photo: AI-generated)
सेना के जवान ने बचाई बच्चे की जान (Photo: AI-generated)

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से एक दिल को छू लेने वाली खबर सामने आई है. भारतीय सेना के एक जवान ने चलती ट्रेन में अपनी सूझबूझ और प्रशिक्षण का शानदार उदाहरण पेश करते हुए एक आठ महीने के बच्चे की जान बचा ली. यह घटना नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी एक्सप्रेस में घटी, जब यात्रा के दौरान एक बच्चे को अचानक सांस लेने में परेशानी हुई और वह बेहोश हो गया.

सेना के जवान ने बच्चे को दी नई जिंदगी

रक्षा सूत्रों के अनुसार, 456 फील्ड हॉस्पिटल में तैनात सिपाही (एम्बुलेंस असिस्टेंट) सुनील छुट्टी से लौटते हुए ट्रेन के उसी डिब्बे में यात्रा कर रहे थे. अचानक उन्होंने बच्चे के परिवार की चीख-पुकार सुनी. उन्होंने तत्काल स्थिति का आकलन किया और पाया कि बच्चा न तो सांस ले रहा है और न ही उसकी नब्ज चल रही है.

सुनील ने बिना देर किए कार्डियो पल्मोनरी रेसुसिटेशन (CPR) शुरू किया. उन्होंने दो उंगलियों से बच्चे की छाती पर हल्का दबाव डालते हुए माउथ-टू-माउथ ब्रीदिंग दी. करीब दो चक्र सीपीआर देने के बाद बच्चे ने हल्की हरकत दिखाई और फिर धीरे-धीरे उसकी सांसें लौट आईं.

रक्षा विभाग ने की जवान की तारीफ

रक्षा विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'सिपाही सुनील की समय पर और पेशेवर कार्रवाई ने उस स्थिति में एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया, जहां तत्काल कोई चिकित्सा सहायता उपलब्ध नहीं थी.' घटना के दौरान बच्चे की मां घबराहट में बेहोश हो गई थीं, जबकि परिवार के अन्य सदस्य घबराकर रोने लगे थे, लेकिन सिपाही सुनील ने संयम बनाए रखा और ट्रेन के स्टाफ और रेलवे पुलिस से संपर्क कर बच्चे को असम के रंगिया स्टेशन पर उतरवाकर आगे की मेडिकल देखभाल सुनिश्चित की.

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रक्षा अधिकारी ने बताया कि 'सुनील का त्वरित निर्णय, शांत मन और व्यावहारिक कौशल ने एक अनमोल जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाई, भारतीय सेना अपने ऐसे बहादुर और संवेदनशील जवानों पर गर्व महसूस करती है.' यह घटना न केवल सेना की ट्रेनिंग और अनुशासन की ताकत दिखाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि 'देश की रक्षा' सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में मानवीय संवेदनाओं के साथ की जाती है.
 

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