इस वर्ष हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, ये रहेगा कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त

15 Sep 2025

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इस वर्ष शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होने जा रहे हैं. नवरात्र के इन नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों की पूरे विधि-विधान के साथ उपासना की जाती है.

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हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और इस बार समापन 1 अक्टूबर के दिन होगा.

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ज्योतिर्विदों की मानें तो, इस बार मां दुर्गा की सवारी हाथी रहने वाली है. साथ ही, शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन दशहरा मनाया जाएगा, जिसकी दशमी तिथि रहेगी. इसलिए, इस दिन को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है.

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नवरात्र की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को करीब आधी रात 1 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 23 सितंबर को अर्धरात्रि 2 बजकर 55 मिनट पर होगा. इसलिए, उदयातिथि के अनुसार, 22 सितंबर को ही शारदीय नवरात्र मनाई जाएगी.

शारदीय नवरात्र तिथि

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शारदीय नवरात्र के दिन कलशस्थापना का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 06 मिनट तक रहने वाली है. जिसकी अवधि 1 घंटे 56 मिनट की रहेगी.

कलश स्थापना का मुहूर्त

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वहीं, अगर सुबह के मुहूर्त में कोई कलशस्थापना न पाए तो वह अभिजित मुहूर्त में भी कलशस्थापना कर सकता है. इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.

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शारदीय नवरात्र के कलशस्थापना में इस पूजन सामग्री का होगा इस्तेमाल- कलश, मौली, आम के पत्ते, रोली, गंगाजल, सिक्का, मिट्टी का बर्तन, गेहूं या अक्षत, साफ मिट्टी और वस्त्र. इनके अलावा, दीया जलाने के लिए घी और रूई की बत्ती आदि.

कलशस्थापना की पूजन सामग्री

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इस दौरान भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं. सबसे पहले शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना यानी घट स्थापना की जाती है.

शारदीय नवरात्र की पूजन विधि

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इसके लिए मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं, ऊपर जल से भरा कलश रखा जाता है और उस पर नारियल व आम के पत्ते सजाए जाते हैं. यह कलश मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है. 

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