15 Sep 2025
Photo: AI Generated
इस वर्ष शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होने जा रहे हैं. नवरात्र के इन नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों की पूरे विधि-विधान के साथ उपासना की जाती है.
Photo: Pixabay
हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और इस बार समापन 1 अक्टूबर के दिन होगा.
Photo: Pixabay
ज्योतिर्विदों की मानें तो, इस बार मां दुर्गा की सवारी हाथी रहने वाली है. साथ ही, शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन दशहरा मनाया जाएगा, जिसकी दशमी तिथि रहेगी. इसलिए, इस दिन को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है.
Photo: Pixabay
नवरात्र की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को करीब आधी रात 1 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 23 सितंबर को अर्धरात्रि 2 बजकर 55 मिनट पर होगा. इसलिए, उदयातिथि के अनुसार, 22 सितंबर को ही शारदीय नवरात्र मनाई जाएगी.
Photo: AI Generated
शारदीय नवरात्र के दिन कलशस्थापना का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 06 मिनट तक रहने वाली है. जिसकी अवधि 1 घंटे 56 मिनट की रहेगी.
Photo: Pexels
वहीं, अगर सुबह के मुहूर्त में कोई कलशस्थापना न पाए तो वह अभिजित मुहूर्त में भी कलशस्थापना कर सकता है. इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
Photo: ITG
शारदीय नवरात्र के कलशस्थापना में इस पूजन सामग्री का होगा इस्तेमाल- कलश, मौली, आम के पत्ते, रोली, गंगाजल, सिक्का, मिट्टी का बर्तन, गेहूं या अक्षत, साफ मिट्टी और वस्त्र. इनके अलावा, दीया जलाने के लिए घी और रूई की बत्ती आदि.
Photo: Pixabay
इस दौरान भक्त नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं. सबसे पहले शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना यानी घट स्थापना की जाती है.
Photo: Pixabay
इसके लिए मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं, ऊपर जल से भरा कलश रखा जाता है और उस पर नारियल व आम के पत्ते सजाए जाते हैं. यह कलश मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है.
Photo: Pexels