4 Sep 2025
Photo: ITG
सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है.
Photo: Pixabay
नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है, जिसमें प्रत्येक स्वरूप के लिए विशिष्ट विधियां और अनुष्ठान होते हैं.
Photo: Pixabay
इस बार शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होने जा रही है और इन शुभ दिनों का समापन 1 अक्टूबर, महानवमी के दिन होगा.
Photo: Pixabay
शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा तिथि 22 सितबंर को अर्धरात्रि 1 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 23 सितंबर को अर्धरात्रि 2 बजकर 55 मिनट पर होगा.
Photo: Pexels
नवरात्र का सबसे विशेष अनुष्ठान कलशस्थापना या घटस्थापना कहलाता है. इस दिन कलशस्थापना का मुहूर्त सुबह 6:09 मिनट से लेकर 8:06 मिनट तक रहेगा. कलशस्थापना के लिए कुल 1 घंटा 56 मिनट का समय मिलेगा.
Photo: Pexels
जो लोग सुबह के मुहूर्त में कलशस्थापना न कर पाएं वो अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं. कलशस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:49 मिनट से दोपहर 12:38 मिनट तक रहेगा.
Photo: Pexels
नवरात्र के लिए तैयारी करें और सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें. मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल वस्त्र में सजाएं और पूजा की थाली तैयार करें. जौ के बीज को मिट्टी के बर्तन में बोएं और प्रतिदिन पानी दें.
Photo: Pixabay
उसके बाद कलश की स्थापना करें. फिर कलश पर लाल कपड़ा लपेंटे और अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें.
Photo: Pixabay