14 Oct 2025
Credit: Instagram/bhajanmarg_official
वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के पास लोग अक्सर अपनी समस्याओं के जवाब लेने आते हैं. हाल ही में एक शख्स अपने ऑफिस की प्रॉब्लम लेकर उनके पास पहुंचा.
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शख्स का सवाल था. 'मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूं. छुट्टी नहीं मिलती तो फिर आज मेरा फूफा मर गए, आज मेरी दादी मर गई बोलते है तो फिर छुट्टी मिल जाती है. तो ऐसा करना सही बात है?
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प्रेमानंद महाराज ने पूछा, 'वैसे झूठ बोल के नहीं, सत्य बोलकर भी तो छुट्टी मिलती होगी?'
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शख्स ने कहा, 'सच बोलेंगे तो बोलते हैं नहीं कहीं नहीं जाना और झूठ बोल दें तो तुरंत मिल जाएगी. आज भी आपसे मिलने झूठ बोलकर आया हूं.'
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प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'कलयुग का प्रभाव है. झूठा ही लेना. झूठे देना. झूठे भोजन.'
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'झूठ कलयुग का एक प्रभाव है लेकिन नहीं. असत्य संपादक पुंजा. ये पाप है, ये तो पक्का है.'
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'झूठ बोलना पाप है. साच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप. जाके हृदय साच है, ताके हृदय आप.'
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'देखो हमें चाहिए कि समस्याओं से भले ही हम लड़ें लेकिन हम सत्य पर चलने की कोशिश करें. झूठ से बचने की कोशिश करें. भजन, धाम और भगवत प्राप्ति के लिए झूठ बोलना, झूठ नहीं होता.'
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'हमें लगता है कि भगवत कार्यों के लिए यदि हम कहीं झूठ बोल देते हैं तो कोई परेशानी नहीं. लेकिन हम सांसारिक कार्यों के लिए झूठ से बचने की कोशिश करें.'
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