29 Oct 2025
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वृंदावन-मथुरा के जाने माने प्रेमानंद महाराज के पास बहुत से लोग अपनी जीवन से जुड़ी परेशानियों का हल लेने के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा, महाराज जी सोशल मीडिया पर भी खूब प्रसिद्ध रहते हैं.
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वहीं, हाल ही में प्रेमानंद महाराज के दर्शन करने देवी चित्रलेखा जी पहुंचीं थीं. देवी चित्रलेखा ने आश्रम में प्रवेश करते ही सबसे महाराज जी को राधे राधे कहा और प्रणाम किया.
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इसके बाद देवी चित्रलेखा ने प्रेमानंद महाराज से कहा कि ब्रज में हमने गौ माता का अस्पताल खोल रखा है, जहां घायल गौ माताओं का उपचार किया जाता है.'
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इस पर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर देते हुए कहा कि, 'यह बहुत ही उत्तम कार्य है कि जिन गायों की सेवा नहीं होती या जो गौ असमर्थ और रोगी हैं, उनके दुःख निवारण का कार्य एक महान परमार्थ है. यही सेवा मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म है.'
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'जितना धन आए उसे अपने ऊपर खर्च ना करके परमार्थ पर खर्च करो. जो व्यक्ति दूसरों के हित के लिए कार्य करता है, भगवान उससे अत्यंत प्रसन्न होते हैं.'
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इसके बाद देवी चित्रलेखा महाराज जी से प्रश्न करती हैं कि, 'ब्रज में जन्म लेने के बाद और सेवा करने के बाद, कभी ब्रजवास होना महसूस नहीं होता है.'
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इस पर प्रेमानंद महाराज बड़ा सुंदर उत्तर देते हुए कहते हैं कि, 'देखो आज समाज में कईं ऐसे लोग हैं जिन्हें जागृत करना हमारा दायित्व है. यदि हम उन्हें भगवत् धर्म के नाम, कर्म और धाम में लगाएंगे, तो हमें इस बात पर कभी पश्चाताप नहीं होना चाहिए.'
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'बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनको घसीटकर भागवताचार्य वृंदावन लाए, कुछ को रासाचार्य वृंदावन लाए. अगर मन में प्रिय-प्रियतम के प्रेम की रास ही नहीं होगी तो वृंदावन आने का कोई मतलब नहीं है.'
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'हम भगवान के गीत गा रहे हैं तो अगर हमारा शरीर छूटेगा तो एकबार तो वह धाम ही आएगा. जैसे भारतीय सैनिक, चाहे कहीं भी मृत्यु को प्राप्त हों, तिरंगे में लिपटे हुए भारत भूमि पर ही लौटेगा.'
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