छोटे बच्चों को रोने पर फोन देना चाहिए या नहीं, प्रेमानंद महाराज ने दिया ये जवाब

10 Oct 2025

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आजकल के मां-बाप की सबसे बड़ी दुविधा ये है कि बच्चों को संभालें या अपना काम पूरा करें. यही वजह है कि अब डेढ़-दो साल के बच्चे भी मोबाइल फोन में खोए नजर आते हैं.

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इसी विषय पर एक भक्त ने वृंदावन-मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से सवाल पूछा. भक्त का प्रश्न था कि 'क्या छोटे बच्चों को रोने पर मोबाइल देना उचित है? क्योंकि सिंगल फैमिली में बच्चों को संभालना बहुत बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है.

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इस पर प्रेमानंद महाराज ने बड़ी सुंदरता से उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि,  '35 साल पहले भी तो बच्चे थे, लोग तब भी काम पर जाते थे, देश-विदेश में कार्य करते थे.'

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महाराज ने आगे कहा, 'पहले भी तो लोग अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे, इसलिए बच्चे की देखभाल के लिए दाई मां रखी जाती थी. वह बच्चे की सेवा और सुरक्षा करती थी, और मां-बाप अपनी ड्यूटी से आकर परिवार के साथ प्यार भरा समय बिताते थे.'

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 'लेकिन, ये सिर्फ संयुक्त परिवारों में नहीं होता था बल्कि सिंगल फैमिली में भी यही होता था, तब तो फोन भी नहीं थे. इसलिए छोटे बच्चे को फोन देना उचित नहीं है.'

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'आज के समय में बच्चों को मोबाइल देने से उनके संस्कार बिगड़ रहे हैं. यही वजह है कि आजकल के बच्चे न तो मां-बाप के पैर छूते हैं और न उन्हें प्रणाम करते हैं.'

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'रोज सुबह उठकर धरती के पैर छूना, माता पिता के पैर छूना, भगवान का स्मरण करना, ऐसी दिनचर्या आज के समय में किसी भी बच्चे में नहीं है.' 

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'आजकल के बच्चे तो सुबह से मोबाइल फोन में लगे रहते हैं और 9 बजे तक सो रहे हैं. तो ऐसे में सिर्फ पशुता ही आएगी मनुष्यता नहीं आएगी. '

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आगे प्रेमानंद महाराज ने कहा कि,  'डेढ़-दो साल के बच्चे को मोबाइल देना कोई मजबूरी नहीं, बल्कि आदत बनती जा रही है. पिता सोचते हैं कि बच्चे को फोन दिखाने से वो व्यस्त रहेगा, लेकिन इससे नई-नई बीमारियों का जन्म भी हो रहा है.' 

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