15 sep 2025
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हर व्यक्ति को सोने के बाद सपने आते ही है, जो कि बहुत ही आम सी बात है. लेकिन, स्वप्न शास्त्र के अनुसार, जो सपने हम देखते हैं तो संबंध हमारे जीवन से कहीं न कहीं होता ही है.
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वहीं, प्रेमानंद महाराज से भी एक भक्त ने सपने से जुड़ा सवाल पूछा और उसने महाराज जी कहा कि, 'क्या शयन करते वक्त महाराज जी आपको भी सपने आते हैं.'
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इसपर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर दिया कि, 'इतना ज्यादा शयन ही नहीं होता है कि कोई सपना आए. सपने तब आते हैं जब कोई व्यक्ति नींद से ज्यादा ही शयन कर ले.'
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'यहां तो जीवन में इतनी रगड़ है कि हम शयन करने के बजाय नाम जप करते हैं, डट के भजन करते हैं, ध्यान लगाते हैं. जब तक हमारे अंदर बेहोशी नहीं आती, तब तक भजन चलता रहता है.'
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आगे प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, 'अगर हमें सपने आते भी हैं तो ज्यादातर संतों के स्वप्न आते हैं, खुद को वैरागी रूप में देखते हैं.'
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'कहीं संतों के बीच बैठे होते हैं, कहीं कथा और भागवत हो रही होती है, कहीं प्रभु के मंदिर या लीला दिखती है, पवित्र तीर्थ स्थान नजर आते हैं.'
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आगे वह व्यक्ति प्रेमानंद महाराज से प्रश्न करता है कि, 'महाराज जी क्या आपको कोई पदयात्रा या लोगों के जयकारे के स्वप्न नहीं आते हैं.'
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इस पर महाराज जी कहते हैं कि, 'हम जैसे चलते हैं, वैसे ही दिखते हैं. लेकिन, हम किसी को खास नजर से नहीं देखते. हमारे नेत्र रूपी कैमरे में किसी की तस्वीर नहीं बनती, चाहे कोई रो रहा हो या कोई भाव दिखा रहा हो.'
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