7 Nov 2025
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आज के समय में बहुत से लोग दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं. लोग अपनी असल जिंदगी से ज्यादा उस छवि को संवारने में लगे हैं, जो वे दूसरों को दिखाना चाहते हैं.
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अक्सर इस दिखावे के कारण लोग EMI पर महंगी चीजें खरीद लेते हैं जैसे ब्रांडेड कपड़े, सोना-चांदी या अन्य लग्जरी आइटम्स. कई बार यह दिखावा इतना बढ़ जाता है कि लोग सही-गलत की परवाह किए बिना अधर्म का रास्ता अपना लेते हैं.
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इसी विषय से जुड़ा एक प्रश्न लेकर एक व्यक्ति प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचा. और उसने पूछा कि क्या अधर्म से प्राप्त सोना पहनना चाहिए?
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इस पर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर देते हुए कहा कि, 'सोना अपने आप में न तो अच्छा होता है, न बुरा. उसे पाने का तरीका ही तय करता है कि वह धर्मयुक्त है या अधर्मयुक्त.'
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'अगर अधर्म के द्वारा प्राप्त किया हुआ सोना धारण किया जाए, तो वह पाप का कारण बनता है. ऐसे सोने से जीवन में कलियुग का प्रभाव बढ़ता है, यानी वह इंसान की बुद्धि को भ्रमित कर देता है और मन को अशांत करता है.'
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'बेईमानी या गलत तरीकों से प्राप्त सोना भले ही बाहर से चमके, लेकिन भीतर से वह नकारात्मकता और मन में अशुद्धता ही लाता है.'
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'वहीं, अगर सोना ईमानदारी से, मेहनत और सही रास्ता अपनाकर खरीदा गया है, तो वह शुभ माना जाता है.'
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'ऐसा सोना पहनने से मन शांत रहता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है, क्योंकि वह सच्चे धर्म से जुड़ा होता है.'
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