पितृपक्ष: पितरों का श्राद्ध न करने से मिलते हैं दुष्परिणाम, परिवार पर मंडराती है मुसीबत

31 Aug 2025

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इस साल पितृपक्ष 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा. हिंदू धर्म में इन 15 दिनों को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. 

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इस दौरान लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं. ऐसा करने से पितर तृप्त होकर अपने संतान और परिवार को आशीर्वाद देते हैं.

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लेकिन ज्योतिषीयों के अनुसार, जो लोग पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं करते हैं, उनके जीवन में पितृ दोष उत्पन्न हो जाता है. पितृ दोष पूरे परिवार की खुशहाली और समृद्धि पर नकारात्मक असर डालता है.

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ऐसे में आइए जानते हैं पितृपक्ष में श्राद्ध न करने वालों को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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पितृ दोष के कारण व्यक्ति के पास जीवनभर धन की कमी रहती है. उसे आर्थिक अस्थिरता, रोजमर्रा की परेशानियाँ और कंगाली का सामना करना पड़ सकता है. घर में कभी मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है.

आर्थिक तंगी 

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यदि पितर संतुष्ट नहीं होते और कुंडली में पितृ दोष होता है, तो परिवार में कलह, झगड़े और तनाव का वातावरण रहता है. ऐसे परिवारों की सफलता और तरक्की रुक जाती है. जीवन में कठिनाइयाँ और विफलताएँ बढ़ने लगती हैं.

परिवार में अशांति और कलह

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पितृ दोष संतान से जुड़ी समस्याओं को भी बढ़ाता है. गर्भधारण में कठिनाई, संतान की उन्नति में रुकावट और दुर्घटना का खतरा बना रहता है. संतान का भविष्य अस्थिर हो सकता है.

संतान संबंधी परेशानियाँ

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जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है, वे अक्सर बीमार रहते हैं. घर में आए दिन कोई न कोई बीमार ही रहता है. बच्चों, बुजुर्गों और पूरे परिवार की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ

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