11 Sep 2025
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इस साल पितृपक्ष की शुरूआत 7 सितंबर से हो गई है और इसका समापन 21 सितंबर को होगा. हिंदू धर्म में इन दिनों का खास महत्व होता है.
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पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और सदैव परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष की अवधि में कुछ विशेष पेड़ों के नीचे दीपक जलाना बेहद शुभ होता है. इससे पितरों की कृपा और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
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मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है. ऐसे में पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा करना बेहद उत्तम माना गया है.
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इस समय रोजाना पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और उसमें काले तिल जरूर डालें. माना जाता है कि इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है.
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सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का खास महत्व है. पितृपक्ष में रोजाना तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक अत्यंत फलदायी माना जाता है.
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मान्यता है कि ऐसा करने से घर-परिवार में सकारात्मकता बनी रहती है और पितृ दोष का प्रभाव कम हो सकता है. साथ ही परिवार के सदस्यों के लिए उन्नति के मार्ग भी खुलते हैं.
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धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में शाम के समय शमी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना गया है. शमी का पौधा शनिदेव को अतिप्रिय है और इसका पूजन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
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माना जाता है कि पितृपक्ष में रोजाना शमी के पौधे के पास दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जातक को पितृ दोष से राहत मिल सकती है.
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