30 Aug 2025
Photo: AI Generated
पितृपक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू होकर 21 सितंबर 2025 तक रहेगा. हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस समय पितर (पूर्वज) धरती पर आते हैं .
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इस दौरान पितृ अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इसी कारण इन दिनों में श्राद्ध, तर्पण और दान का विशेष महत्व होता है.
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यह भी माना जाता है कि पितृ न केवल अदृश्य होते हैं, बल्कि वे प्रकृति के कई रूपों और जीवों के माध्यम से भी हम तक पहुंचते हैं और दर्शन देते हैं.
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इसलिए पितृपक्ष के दौरान हर छोटे-बड़े जीव-जंतु, पक्षी और जरूरतमंद व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए.
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कहा जाता है कि इस समय यदि कोई गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति आपसे मदद मांगे तो उसे कभी खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए.
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मान्यता है कि वे हमारे पितरों का ही एक स्वरूप हो सकते हैं, और उनकी सेवा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.
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पितृपक्ष में घर पर आने वाले जीवों को पितरों का स्वरूप माना जाता है. इन्हें भोजन या पानी देने से पितरों की कृपा बनी रहती है.
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खासकर गाय को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है और इसे पितरों का वाहन समझा जाता है.
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कौए को पितरों का दूत माना जाता है. इसलिए श्राद्ध में पके हुए भोजन को पहले कौओं को खिलाने की परंपरा है.
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