16 Sep 2025
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हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. इस दौरान लोग अपने पितरों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करते हैं.
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मान्यता है कि इस समय पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से जल, अन्न और श्राद्ध स्वीकार करते हैं. इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हुई थी और इसका समापन 21 सितंबर को होगा.
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पितृपक्ष का अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस तिथि पर उन मृतक परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है या जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी को हुई हो.
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इसे पितरों की विदाई तिथि माना जाता है और माना जाता है कि इस दिन पितरों को प्रसन्न करने का आखिरी अवसर होता है. माना जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या पर कुछ खास उपायों को करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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अगर आप पैसों की तंगी से परेशान हैं, तो पितृपक्ष के आखिरी दिन शाम के समय घर की उत्तर-पूर्व दिशा में गाय के घी का दीपक जलाएं. घी में काले तिल डाल दें. मान्यता है कि इससे धन संबंधी परेशानियां कम होने लगती हैं और कर्ज से छुटकारा मिलता है.
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कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पूजा में चांदी के नाग-नागिन स्थापित कर उनकी विधिवत पूजा करें. इसके बाद उन्हें सफेद फूलों के साथ किसी बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें. ऐसा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है और जीवन में शांति आती है.
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इस दिन पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध-तर्पण करना बेहद शुभ माना गया है. श्राद्ध के बाद जरूरतमंदों को भोजन कराएं.
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साथ ही गाय, कौए, कुत्तों और चीटियों को भी भोजन कराएं. मान्यता है कि ऐसा करने से पितर आशीर्वाद देते हैं और जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अन्न का दान करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न का दान करें. इससे पितर तृप्त होते हैं और वंशजों को समृद्धि व उन्नति का आशीर्वाद देते हैं.
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