2 Sep 2025
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हिंदू धर्म में पितरों को विशेष स्थान प्राप्त है. शास्त्रों के अनुसार, यदि पितृ प्रसन्न हों तो जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
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लेकिन यदि वे असंतुष्ट रह जाएं तो इंसान को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जब पितरों की आत्मा को तृप्ति नहीं मिलती है, तब कुंडली में पितृ दोष पैदा होता है.
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यह दोष बेहद प्रभावशाली माना गया है. कुंडली में पितृ दोष होने पर व्यक्ति को आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आइए पितृ दोष बनने के प्रमुख कारणों के बारे में जानते हैं.
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि पितरों की कोई इच्छा अधूरी रह जाती है और संतान उसे पूरा नहीं कर पाती है, तो यह पितृ दोष का कारण बन सकता है.
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हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व है. जो लोग पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान नहीं करते हैं, उन्हें भी पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है. इससे पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती हैं.
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जिन लोगों का अंतिम संस्कार धार्मिक विधि-विधान के साथ नहीं किया जाता है, उनकी आत्मा तृप्त नहीं हो पाती है जिसके कारण वंशजों की कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है.
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इसके अलावा पीपल या बरगद जैसे पवित्र वृक्ष को काटना, जाने-अनजाने में सांप की हत्या करना भी पितृ दोष का कारण बन सकता है.
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ज्योतिष शास्त्रमें पितृ दोष के लक्षण के बारे में भी बताया गया है. पितृ दोष होने पर परिवार में बार-बार झगड़े होते हैं, संतान प्राप्ति में बाधा आने लगती है.
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घर में पीपल का उग आना या फिर तुलसी के पौधे का अचानक सूख जाना भी पितृ दोष का संकेत होता है. साथ ही जीवन में बार-बार दुर्घटनाएं होना भी पितृ दोष का लक्षण हो सकता है.
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