3 Sep 2025
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इस साल महालक्ष्मी व्रत 31 अगस्त से लेकर 14 सितंबर तक रहने वाले हैं. कहते हैं कि 16 दिन तक चलने वाले ये व्रत मां लक्ष्मी की उपासना के लिए बहुत उत्तम होते हैं.
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इस व्रत की परंपरा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताई थी. इस व्रत का मुख्य उद्देश्य माता लक्ष्मी को घर में स्थायी रूप से स्थापित करना होता है.
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अक्सर आपने लोगों को शाम के वक्त देवी लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते देखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां लक्ष्मी के घर आने का एक निश्चित समय भी होता है.
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किंवदंती है कि मां लक्ष्मी शाम 7 बजे से लेकर रात 9 बजे के बीच पृथ्वी लोक में पर भ्रमण करती हैं. इस समय जो घर स्वच्छ, शांत और सात्विक होता है, देवी वहीं वास करती हैं.
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सिहोर के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा खुद अपने प्रवचनों में इस बात का जिक्र कर चुके हैं.
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कहते हैं कि शाम के वक्त घर का वातावरण पवित्र होना चाहिए. दीप प्रज्वलन और भजन-कीर्तन करने से देवी का आशीर्वाद सहज रूप से प्राप्त होता है. इसलिए संध्याकाल इन बातों का विशेष ख्याल रखें.
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मान्यता है कि अंधकार में अलक्ष्मी का वास होता है, इसलिए इस अवधि में दीपक अवश्य जलाना चाहिए. जिस घर में स्वच्छता, प्रकाश और शांति रहती है, वहां देवी लक्ष्मी विशेष रूप से कृपा करती हैं.
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शास्त्रों में कहा गया है कि जिस घर में शाम के समय गंदगी, अंधेरा, लड़ाई-झगड़ा, अपशब्द, बड़ों का अपमान या अनैतिक कार्य होते हैं, वहां देवी लक्ष्मी कभी वास नहीं करती हैं.
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शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी के आगमन से पहले घर की चौखट पर दीपक जरूर जलाएं. आप तुलसी, घर के मंदिर और उत्तर दिशा में भी एक दीपक प्रज्वलित करेंगे तो अच्छा होगा.
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