'मेरे लिए वो अद्भुत क्षण थे...', श्रीकृष्ण के दर्शन पर प्रेमानंद महाराज ने बताया अनुभव

15 June 2025

aajtak.in

हर व्यक्ति किसी न किसी परिस्थिति में प्रार्थना करता है कि भगवान उसे किसी न किसी रूप में दर्शन देने आएं, जिससे उनकी जिंदगी सवर जाए.

वहीं, मथुरा-वृंदावन के जाने माने बाबा प्रेमानंद महाराज ने इससे जुड़ा अपना एक किस्सा अपने भक्तों के साझा किया, जब उनको भी ठाकुर जी के दर्शन हुए थे.

प्रेमानंद महाराज ने अपना किस्सा बताया कि, 'हम गिरीराज में दंडोती परिक्रमा लगा रहे थे. हमारे आगे आगे गुरुदेव थे और उनके पीछे हम थे.'

'परिक्रमा करते समय हमें एक बालक मिला. उस बालक ने हमसे 1 रुपया मांगा और हमने मना कर दिया कि हमारे पास पैसे नहीं हैं.'

'हम उस बालक के बारे में सोचने लगे कि ब्रजवासी बालक होगा किसी आसपास के गांव का, हमने ज्यादा सोचा नहीं. हमने अपनी कमर पर एक अंगोछा बांधा हुआ था जिसमें भोग वगैरह लगाने के लिए कुछ सिक्के थे.'

'वह बालक हमसे बोला कि बाबा आप झूठ बोल रहे हो, तो फिर हमने अपना अंगोछा खोला ओर उस बालक को उसमें से रुपया निकालकर दे दिया. फिर वह बालक वहां से मुस्कुराकर चला गया.'

प्रेमानंद महाराज आगे बोले कि, 'हमने ये बात अपने गुरुजी को बताई तो इसपर हमारे गुरुजी बोले कि यहां आसपास कोई गांव नहीं है तो कोई बालक कैसे आ सकता है. हमारे गुरुजी बोले कि वो कोई ओर नहीं गिरीराज जी थे, वो लीला करने आए थे.'

'परिक्रमा के बाद जब हम वृंदावन वापिस आए तो एक महाराज जी यमुना किनारे बैठे हुए थे. उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें श्रीकृष्ण के दर्शन हुए की नहीं.'

इसपर प्रेमानंद महाराज ने बाबा को उत्तर देते हुए कहा कि, 'नहीं महाराज जी. फिर हम ये सोचने लगे कि इन बाबा को कैसे पता कि हमें प्रभु के दर्शन नहीं हुए.'

'प्रभु का बच्चे के रूप में आना और फिर अचानक महाराज जी का हमसे पूछना की दर्शन हुए की नहीं. ये सब प्रभु की लीला थी.'