13 Mar 2025
aajtak.in
हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन मनाया जाता है. और 13 मार्च यानी आज होलिका दहन है.
होली से एक दिन पहले होलिका जलाई जाती है जिसका सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा खास महत्व है. होलिका दहन को बुराई के अंत के रूप में देखा जाता है.
होली जलाते समय मन में ऐसी धारणा रहती है कि हमारे अंदर और हमारे आसपास की सभी नकारात्मकता का अंत उसी होलिका की अग्नि में हो जाए.
ऐसा भी माना जाता है कि होली की राख में असीम शक्ति होती है जो जीवन की कई परेशानियों का अंत कर सकती है. वहीं, ज्योतिषियों की मानें तो, होलिका दहन की रात कुछ गलतियों से सावधान रहना चाहिए.
होलिका दहन शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए, क्योंकि भद्रा मुख और राहुकाल के समय होलिका दहन करना बहुत ही अशुभ माना जाता है.
होलिका दहन के समय महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि उनका सिर खुला न रहे, बल्कि पूजा के दौरान सिर को किसी कपड़े से ढककर रखें.
होलिका दहन के दिन केवल सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए और किसी भी व्यक्ति का अपमान करने से बचना चाहिए.
होलिका दहन के दिन देर रात तक घर से बाहर रहने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दिन रात के समय नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय होती हैं.
होलिका दहन की अग्नि में भूल से भी प्लास्टिक की वस्तुएं, पानी वाला नारियल, टूटा फूटा लकड़ी की वस्तुएं या सूखी गेहूं की बालियां न डालें.