20 May 2025
Aajtak.in
मृत्यु जीवन में एक दर्दनाक सच्चाई है. मरने के बाद हर आदमी को अपना परिवार और पृथ्वी लोक छोड़ना पड़ता है.
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ऐसे में कई बार लोगों के जेहन में एक सवाल आता है कि मृत्यु के बाद क्या फिर कभी हम अपने परिवार से मिल पाते हैं?
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ज्योतिषविद श्रीपति त्रिपाठी ने हिंदू शास्त्रों का हवाला देते हुए बताया कि मृत्यु के बाद इंसान का अपने परिवार से पुन: मिलन संभव है.
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लेकिन यह संबंध या मिलन कर्म, भावनात्मक और ब्रह्मांडीय विधान पर निर्भर करता है.
श्राद्ध, तर्पण और सत्कर्मों से यह कड़ी सशक्त होती है. हिंदू दर्शन में मृत्यु को अंत नहीं, बल्कि आत्मा की एक नई यात्रा का आरंभ माना गया है.
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गरुड़ पुराण के अनुसार, मरने के बाद आत्मा यमलोक की यात्रा करती है, जहां उसके कर्मों का लेखा-जोखा तय होता है.
अगर कर्म अच्छे हैं तो आत्मा स्वर्ग यानी उत्तम योनि प्राप्त करती है. यदि पाप ज्यादा हैं तो नर्कलोक में जगह मिलती है.
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हालांकि श्राद्ध, पिंडदान या तर्पण जैसे कर्मकांडों के माध्यम से जीवित परिजन पितरों या पूर्वजों से संबंध स्थापित कर सकते हैं.