26 Sep 2025
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सनातन धर्म में कार्तिक के महीने का खास महत्व है. यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है. यह वो महीना है जब जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं.
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दरअसल, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागृत होकर अपने भक्तों का कल्याण करते हैं.
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इसी शुभ अवसर को देवउठनी एकादशी कहते हैं. देव उठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन से चातुर्मास समाप्त हो जाता है और विवाह, गृह प्रवेश जैसे सभी शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत की जाती है.
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कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 01 नवंबर को सुबह 09:11 बजे होगी. इसका समापन 02 नवंबर को सुबह 07:31 बजे. ऐसे में इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 01 नवंबर 2025 को रखा जाएगा.
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इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस व्रत और पूजा से समस्त पापों का नाश होता है और घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
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देवउठनी एकादशी पर प्रातः स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं. पूजा के दौरान भगवान को तुलसी दल, पीले पुष्प, फल और पंचामृत अर्पित करें.
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शाम के समय भगवान विष्णु को जगाने के लिए शंख और घंटी बजाई जाती है तथा तुलसी पत्र अर्पित कर विधिवत उनकी आरती की जाती है.
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देवउठनी एकादशी का व्रत पारण 02 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक कर सकते हैं.
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