31 AUG 2025
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खुशहाल जिंदगी जीने के लिए पैसा एक जरूरी साधन माना गया है. लेकिन आचार्य चाणक्य के मुताबिक, पैसा दुख देगा या सुख ये कमाई के स्रोत पर निर्भर करता है.
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आचार्य चाणक्य का कहना था कि हर प्रकार का धन सुख और समृद्धि नहीं देता. उनके मुताबिक कुछ प्रकार का धन जीवनभर दुख, कलह और अशांति का कारण बनता है.
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आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य के मुताबिक किस तरह से कमाए गए धन से परिवार में अशांति आती है
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गलत तरीके से कमाया गया धन थोड़े समय के लिए संतुष्टि तो देता है, लेकिन वो न तो हमेशा टिका रहता है और न ही उससे आजीवन खुश रहा जा सकता है.
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कर्ज लेकर हासिल किया गया धन हमेशा चिंता और तनाव बढ़ाता है. चाणक्य के मुताबिक उसकी अदायगी की चिंता मन को कभी चैन नहीं लेने देती है.
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किसी का अधिकार छीनकर पाया गया धन कभी स्थायी सुख नहीं देता है. यह परिवार को तोड़ता है और बर्बादी लाता है.
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जो धन धर्म, दान या परिवार के हित में न लगकर केवल लालच के उद्देश्य से जमा किया जाता है, वो भी दुख का कारण बनता है.
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चाणक्य नीति हमें सिखाती है कि सच्चा धन वही है, जो न्यायपूर्वक कमाया गया हो और जिसके इस्तेमाल से किसी को नुकसान न हो.
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