28 Nov 2025
रिपोर्ट: रोशन कुमार
यूपी के वाराणसी में बलराम और उसके पालतू नेवले चीकू की अनोखी दोस्ती चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसे घाटों पर आने वाले लोग हैरानी से देखते हैं.
Photo: Screengrab
सात साल पहले मणिकर्णिका घाट पर किसी ने नवजात नेवले के बच्चे को बलराम को सौंपा था. बलराम जानवरों के प्रति अगाध प्रेम रखते हैं.
Photo: Screengrab
नवजात नेवले की परवरिश करना आसान नहीं था, इसलिए बलराम ने रुई को दूध में भिगोकर उसे पिलाना शुरू किया और धीरे-धीरे उसे पाल पोसकर बड़ा किया.
Photo: Screengrab
बलराम के परिवार ने भी इस नेवले का खयाल रखा. सभी ने उसका नाम चीकू रखा, जो अब परिवार का हिस्सा बन चुका है.
Photo: Screengrab
सात साल बाद चीकू इतनी गहरी नज़दीकी बना चुका है कि बलराम को एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता और हर जगह उसके साथ चलता है.
Photo: Screengrab
बलराम चीकू को अपने हाथों से खाना खिलाते हैं, पानी पिलाते हैं. बच्चे की तरह ध्यान रखते हैं.
Photo: Screengrab
बलराम का कहना है कि चीकू अंजान व्यक्ति को तुरंत पहचान लेता है और अपने व्यवहार से संकेत भी देता है कि सामने वाला विश्वसनीय है या नहीं.
Photo: Screengrab
महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से घाट पर आए श्रद्धालु चीकू को देखकर हैरान होते हैं. वे नेवले को कुबेर की सवारी मानते हैं और इसे शुभ माना जाता है.
Photo: Screengrab
काशी घूमने आए कई पर्यटकों ने बलराम और चीकू की दोस्ती को अनोखा बताते हुए कहा कि इससे इंसान और जानवर के रिश्ते में विश्वास और प्यार की नई मिसाल मिलती है.
Photo: Screengrab