Photo: Instgram@premanandji_.maharaj_official
वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के पास लोग दूर-दूर से अपनी समस्याएं लेकर आते हैं जिनका प्रेमानंद महाराज अपने ज्ञान, भक्ति और राधा नाम-जप के माध्यम से समाधान करते हैं.
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महाराज बताते हैं कि भगवान के नाम का स्मरण करने और चिंतन करने से मन की चिंताएं दूर होती हैं जिससे लोग राहत महसूस करते हैं.
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अक्सर हम सभी के मन में सवाल रहता है कि प्याज और लहसुन को सात्विक खाने में क्यों निषेध बताया जाता है. इस जवाब भी प्रेमानंद महाराज ने दिया है.
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प्रेमानंद महाराज ने एक बार अपने प्रवचन में बताया कि प्याज-लहसुन कोई बुरी चीज नहीं है. जैसे आलू पैदा होता है, वैसे ही प्याज-लहसुन पैदा होता है.
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उसका परिणाम जो है, यानी प्याज-लहसुन तमोगुण पैदा करता है हमारे अंदर, वो दिक्कत की बात है. तमोगुण उत्पन्न करता है, क्रोध, बुरा चिंतना इन सब चीजों को बढ़ावा देता है.
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प्याज-लहसुन मांस जैसा निषेध नहीं है. मांस में तो किसी और के शरीर को नष्ट करके बनता है.
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लेकिन प्याज-लहसुन तो जैसे आलू है गाजर है, मूली है. यह तो जमीन से प्रकट हुआ है.
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ये सिर्फ तमोगुण प्रकट करता है बस, बाकी और कोई बात नहीं है. ऐसा नहीं है कि पाप लगेगा. ऐसा नहीं है.
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प्याज-लहसुन तमोगुण प्रकट करता है इसलिए भजन करने वाले को तमोगुण से सतोगुण तक पहुंचना है इसलिए इसे निषेध किया गया है.
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