13 Dec 2025
Photo: AI-generated
डिजिटल दुनिया में स्मार्ट कुकिंग भी लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. तेल कम खाने की चाहत में लोग ज्यादा से ज्यादा नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना बना रहे हैं.
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नॉन-स्टिक पैन में लोग खाना ये सोचकर बना रहे हैं कि इससे उनकी हेल्थ पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. लेकिन लोग इस बात से अनजान है कि उल्टा वो उनके स्वास्थ्य पर नेगेटिव इफेक्ट डाल रहा है.
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नॉन-स्टिक बर्तनों में टेफ्लॉन कोटिंग होती है और इसे पेरफ्लुओरूक्टेनोइक एसिड से तैयार किया जाता है. ये एक तरह का केमिकल होता है जो हमारी किडनी, हार्ट और लंग्स को इफेक्ट कर सकता है.
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सबसे डर वाली बात ये है कि ये केमिकल्स नॉन-स्टिक बर्तन के गर्म होने पर हवा में मिल सकते हैं. फिर धीरे-धीरे शरीर में ये जहर की तरह काम करना शुरू करता है.
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गर्म होने के बाद बर्तनों से निकलने वाला धुंआ लंग इंफ्लेमेशन और टेफ्लॉन फ्लू जैसी समस्याएं पैदा कर सकता हैं. ऐसे में ये अस्थमा के मरीजों के लिए ये खतरनाक साबित हो सकता है.
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PFOA जैसे केमिकल्स थायरॉइड हार्मोन के असंतुलन का कारण हो सकते हैं. इससे हॉर्मोनल इम्बैलेंस और थकान, चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियां हो सकती हैं.
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ये केमिकल लीवर पर दवाब डालता है और इसकी वजह से फैटी लीवर का खतरा बढ़ जाता है. लंबे समय तक इसके प्रभाव से किडनी डेमेज और कैंसर होने का खतरा भी बढ़ सकता है.
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पीएफएएस से बॉडी का बैलेंस भी बिगड़ जाता है. इसलिए इरेगुलर पीरियड्स और पीसीओएस जैसी दिक्कतों से भी इसे जोड़कर देखा जाता है.
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नॉन-स्टिक पैन में खाना बनाना प्रेग्नेंसी के लिए खतरा बन सकता है. क्योंकि पीएफएएस कॉर्ड ब्लड और ब्रेस्टमिल्क में पाए जाता है. इससे बच्चे की ग्रोथ पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.
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