11 Sep 2025
Photo: AI Generated
विदेशों की सरजमीन से आने वाली कई डिशेज अब भारतीय लोगों की पसंदीदा बन गई है. इनमें पास्ता से लेकर पिज्जा तक का नाम शामिल है.
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हालांकि, जब भी बच्चें पिज्जा खाने की सोचते हैं तो उनके माता-पिता के दिमाग में जंक फूड की तस्वीर बनती है.
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हैरानी की बात है कि इटली में यही पिज्जा रोज खाया जाता है और वहां के लोगों को ना तो मोटापे की समस्या होती है और न ही दिल की बीमारियां. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इसकी वजह क्या है?
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अगर नहीं तो चलिए जानते हैं गट हेल्थ कोच डिंपल जांगड़ा इस बारे में क्या कहती हैं. उनका कहना है कि असली फर्क पिज्जा बनाने के तरीके और लाइफस्टाइल का है.
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आटे का फर्क: उनके मुताबिक, इटली में पिज्जा का बेस साबुत अनाज के आटे से तैयार किया जाता है. ये गट माइक्रोबायोम के लिए अच्छा होता है. वहीं भारत में ज्यादातर पिज्जा मैदे से बनाए जाते हैं.
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ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मैदा आपके पेट के लिए अच्छी नहीं होती है. मैदा को तैयार करने में ब्लीचिंग एजेंट और केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है.
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ऐसे में अगर आप मैदे वाले पिज्जा में पोषण ढूंढ रहे हों तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. इसमें सिर्फ कैलोरी होती है. यही वजह है कि बार-बार मैदे वाला पिज्जा खाने से वजन बढ़ता है और गैस, ब्लोटिंग जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं.
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चीज का फर्क: इटली में पिज्जा पर डाला जाने वाला चीज घर का बना और फ्रेश होता है, जबकि भारत में ज्यादातर प्रोसेस्ड चीज इस्तेमाल किया जाता है. ये शरीर में सूजन और मोटापे का खतरा बढ़ाते हैं.
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ऑयल और टॉपिंग्स का फर्क: इटली में पिज्जा पर ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल होता है, जिसमें ओरिगैनो और चिली फ्लेक्स मिलाए जाते हैं. ये डाइजेशन को अच्छा रखता है और पेट फूलने या कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होने देता.
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हालांकि, भारत में इसके बजाय मेयोनीज, मक्खन और पैक्ड सॉस का इस्तेमाल ज्यादा होता है, जो हेल्थ के लिए नुकसानदायक होता है.
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लाइफस्टाइल का फर्क: इटालियंस पिज्जा खाने के बाद भी काफी एक्टिव रहते हैं और रोज़ाना वॉकिंग और फिजिकल एक्टिविटीज करते हैं. लेकिन भारतीय पिज्जा खाने के बाद आराम करना पसंद करते हैं, जिसकी वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
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