17 Oct 2025
Credit: Freepic & drtarangkrishna/
गेहूं की रोटी अधिकतर घर में खाई जाती है और नॉर्थ इंडिया में हर लोग गेहूं की रोटी खाना ही पसंद करते हैं.
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लेकिन क्या आप जानते हैं गेहूं में ग्लूटेन होता है और इंडिया में काफी सारे लोग ग्लूटेन इनटॉलरेंस हैं यानी कि उनको ग्लूटेन वाली चीजें हजम नहीं होतीं.
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कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. तरंग कृष्ण ने अपने इंस्टाग्राम पर वीडियो डाला है जिसमें वो बता रहे हैं कि यदि कोई 21 दिन के लिए गेहूं छोड़ दे तो उसे क्या अंतर दिखेगा.
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डॉ. तरंग ने वीडियो में कहा, 'मैं हमेशा कहता हूं कि गेहूं में ग्लूटेन होता है. कितने लोगों ने बोला कि हमारे दादाजी, हमारे नानाजी गेहूं खाते थे और गेहूं खाने के बाद भी वह अस्सी साल नब्बे साल जिए.'
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'पहले गेहूं छिलके समेत आता था. पहले जेनेटिकली मॉडिफाइड व्हीट नहीं आता था.'
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'अब जितने भी व्हीट आ रहे हैं, जितने भी सीड आ रहे हैं यह सारे जेनेटिकली मॉडिफाइड ओरिजिन है.'
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'ग्लूटेन छोड़ने के बाद सबसे बड़ा डाइजेस्टिव रिलीफ आपको पता है क्या मिलेगा? आपकी ब्लोटिंग, गैस, एसिडिटी जैसी सारी प्रॉब्लम रिड्यूस हो जाएगी.'
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'जिन जिन लोगों को फैटी लिवर है एक सिंपल टिप याद रख लीजिए ग्लूटेन छोड़ दीजिए.'
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'आजकल का गेहूं नहीं खाना चाहिए जितना हो सके छोड़ दीजिए अगर स्वस्थ रहना है तो बाकी आपकी मर्जी है.'
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हालांकि हम रोटी छोड़ने की सलाह किसी को नहीं देते हैं क्योंकि ये दशकों से भारतीयों के खाने का अहम हिस्सा रहा है. किसी चीज से यदि आपको एलर्जी होती है तो पहले किसी डॉक्टर की सलाह लें और फिर अपनी डाइट में बदलाव करें.
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