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करवा चौथ भारत में विवाहित महिलाओं के लिए बेहद अहम और सांस्कृतिक महत्व रखता है. इस अवसर पर विवाहित महिलाएं सूर्योदय के बाद पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण न करके व्रत रखती हैं.
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इसके बाद वो रात में चांद की पूजा और छलनी से चांद व अपने पति का चेहरा देखकर व्रत तोड़ती हैं.
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मान्यता के अनुसार, यह प्रथा उनके पतियों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ी है.
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इस साल यह त्योहार 10 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. लेकिन सवाल है कि क्या प्रेग्नेंसी में निर्जला व्रत रखना चाहिए.
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कई महिलाओं के लिए यह पहला करवाचौथ भी होगा और अगर वो प्रेग्नेंट हैं और यह सोच रही हैं कि उन्हें इसे रखना चाहिए तो सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.
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स्त्री रोग विशेषज्ञ अंजलि कुमार ने इंस्टाग्राम पर इस विषय पर चर्चा करते हुए एक वीडियो शेयर किया है. उनके अनुसार, गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना मां और बच्चे दोनों के लिए अच्छा नहीं है.
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वो कहती हैं, 'गर्भवस्था में महिला का शरीर अपने अंदर एक और नन्हे इंसान को विकसित करने के लिए चौबीसों घंटे काम करता रहता है. आपके बच्चे का दिमाग और शरीर ग्लूकोज, पोषक तत्वों और पानी की निरंतर आपूर्ति पर निर्भर करता है.'
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इसलिए जब आप लंबे समय तक बिना खाए-पिए रहती हैं तो आपका शुगर लेवल गिर सकता है, आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है और चक्कर आ सकते हैं. इससे गर्भाशय में संकुचन भी हो सकता है.
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उन्होंने कहा कि अगर फिर भी कोई महिला व्रत रखना चाहती है तो वो पानी ना छोड़े. पानी के साथ ही वो बीच-बीच में नारियल पानी और दूध पीती रहे. लंबे समय तक खाली पेट रहने से बचें और ड्राई फ्रूट्स, फल जैसी हेल्दी चीजें खाती रहें.
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डॉक्टर आगे कहती हैं, अगर आप व्रत रख रही हैं तो आपका बच्चा भी आपके साथ उपवास कर रहा है. जब भी शरीर को आराम की जरूरत हो तो पर्याप्त आराम करें.
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