16 Sep 2025
Photo: AI generated
चोट लगने पर या शरीर में अकड़न होने पर अक्सर लोग बर्फ लगाने या गर्म सिकाई करने की सलाह देते हैं. लेकिन अक्सर मन में यह सवाल आता है कि कब बर्फ लगाना चाहिए कब गर्म सिकाई करनी चाहिए?
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सबसे पहले तो हम यह जानते हैं कि ठंडी सिकाई और गर्म सिकाई में क्या अंतर है और इन्हें कैसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
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डॉ. अमित के अनुसार, ठंडी सिकाई सूजन और तेज दर्द वाले चोटों जैसे मोच या चोट पर ज्यादा काम आती है. यह नसों को सुन्न करके दर्द कम करती है और सूजन को रोकती है. वहीं, गर्म पानी की सिकाई मांसपेशियों की अकड़न या पुरानी दर्द से राहत दिलाती है. यह ब्लड फ्लो को बढ़ाती है मांसपेशियों को आराम देती है.
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'ये भी ध्यान रखें कि बर्फ को सीधे स्किन पर न रखें और गर्म पानी की बोतल को चोट लगी जगह पर रखकर ना सोएं.'
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'चोट ठीक होने की तीन स्टेज होते हैं. पहली (0-72 घंटे) जब सूजन सबसे ज्यादा होती है. इस समय ठंडी सिकाई सबसे ज्यादा मदद करती है.'
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'दूसरी स्टेज (3 दिन से लेकर से लेकर कुछ हफ्ते तक) में शरीर चोट वाली जगह की रिपेयर करना शुरू कर देता है. इस समय सूजन और रेडनेस कम होने लगती हैं. ऐसे में आप गर्म सिकाई शुरू कर सकते हैं.'
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'तीसरी स्टेज में जब टिशू (ऊतक) बदलने लगते हैं और अकड़न बढ़ जाती है. इस समय गर्म सिकाई सबसे बेहतर होती है.
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पहली स्टेज में जब चोट नई हो तो दिन में 2–3 बार 10–20 मिनट ठंडी सिकाई करें. फिर जब सूजन कम हो जाए तो दिन में 10–20 मिनट 2–3 बार गर्म सिकाई करें .
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जब स्किन लाल हो जाए, सुन्न हो जाए या फिर उस पर छाले पड़ गए हों तो ठंडी सिकाई नहीं करनी चाहिए. वहीं, जब सूजन या दर्द ज्यादा हो तब गर्म सिकाई नहीं करनी चाहिए.
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