28 Nov 2025
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लंबे और चमदार बाल हर किसी को पसंद होते हैं और ऐसे में बालों के झड़ने से लोग परेशान हो जाते हैं.
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बाल झड़ने के कई कारण होते हैं, मगर हेयर फॉल, एलोपेसिया और गंजापन सिर्फ फिजिकली नहीं बल्कि मेंटली भी उस शख्स पर असर डालता है.
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कई बार तो हेयर फॉल से परेशान लोग बाहर आना-जाना, लोगों से मिलना-जुलना और आईना देखना तक बंद कर देते हैं. समाज में बालों को किसी की सुंदरता का मापदंड से जोड़ा जाता है.
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काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट और रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट आरुषि कोहली ने बताया कि कैसे बाल झड़ना इंसान की मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है.
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बालों का पहचान से खास रिश्ता है और जब बाल झड़ने लगते हैं तो इंसान को लगता है कि वो अपना कुछ खो रहा है. कुछ महिलाओं ने तो यहां तक कहा है कि इससे उनकी शादीशुदा जिंदगी पर असर पड़ा है.
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बाल झड़ने की वजह लोग काफी ज्यादा सोच में पड़ जाते हैं, जिससे उनके दिमाग पर भी असर पड़ता है. वो दूसरों से जलन की भावना रखने लगते हैं और खुद को हमेशा लो समझने लगते हैं. ये फीलिंग धीरे-धीरे डिप्रेशन में बदल जाती है.
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महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी ऐसा महसूस करते हैं, अक्सर गंजेपन को अक्सर बढ़ती उम्र, कमजोरी से जोड़ दिया जाता है. ऐसे में लोग खुद को भीड़ में खुद को लेकर शर्मिंदगी महसूस करने लगते हैं.
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कीमोथेरेपी से बाल झड़ना, अचानक से गंजापन हो जाना. लोगों को बुरी तरह से तोड़ देता है और वो इसकी वजह से खुद को दूर करने लगते हैं. सबसे बड़ी चुनौती ये होती है कि कोई इस फीलिंग को समझ नहीं पाता है.
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बाल झड़ने से मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है, ऐसे में थेरेपी, सीबीटी, नैरेटिव वर्क, एसीटी, ये सब इसमें कारगार है. ऐसे लोगों को बस एक ऐसे शख्स की जरूरत होती है जो उनकी बात को समझ सके.
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