22 Sep 2025
Photo: freepik
पहले हार्ट प्रॉब्लम सिर्फ बूढ़े लोगों में देखी जाती थी, मगर अब कम उम्र के लोगो में भी दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.
Photo: AI-generated
चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर की सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ज्योतिर्मय दाश के अनुसार, इसे आर्टेरियल स्टिफनेस कहते हैं.
Photo: AI-generated
आर्टेरियल स्टिफनेस में ब्लड वेसेल्स सख्त हो जाती हैं, जिससे ब्लड फ्लो मुश्किल हो जाता है और दिल पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है.
Photo: AI-generated
डरने वाली बात ये है कि आर्टेरियल स्टिफनेस हार्ट अटैक, स्ट्रोक और समय से पहले होने वाली दिल की बीमारियों का भी संकेत है.
Photo: AI-generated
ओवरवेट (ज़्यादा वजन वाले) बच्चों और जिनके माता-पिता मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं, उनमें नाड़ी की गति (पल्स वेव वेलोसिटी) ज़्यादा पाई जाती है.
Photo: AI-generated
मोटापे के अलावा हाई BP, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज की वजह से भी आर्टेरियल स्टिफनेस होता है. डॉक्टरों के मुताबिक, 20 साल का शख्स भी मिडिल एज व्यक्ति जैसी धमनियों का शिकार हो सकता है.
Photo: AI-generated
स्मोकिंग और वेपिंग से ये दिक्कत तेजी से बढ़ती हैं क्योंकि इनसे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस काफी हद तक बढ़ जाता है. भले ही कोई इंसान कम समय के लिए स्मोकिंग करता है, लेकिन उसका असर लंबे टाइम तक रहता है.
Photo: AI-generated
डॉ. डैश ने कहा, नींद की कमी, देर रात जागना और ज्यादा कॉफी पीने से मेटाबॉलिज्म भी गड़बड़ हो सकता है और ये हार्ट को नुकसान पहुंचाता है.
Photo: AI-generated
जेनरेशन जेड को हार्ट से जुड़ी बीमारियों को खुद से दूर रखने के लिए वेट कंट्रोल, बैलैंस डाइट, नो स्मोकिंग को अपनी आदत में शुमार करना होगा.
Photo: AI-generated