3 DEC 2025
Photo: AI-generated
आजकल मार्केट में तरह-तरह की डिजाइनर बिंदियां मिलती हैं. जैसे मिनिमल, पर्ल वाली, या रंग-बिरंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन आर्टिफिशियल बिंदियों के चिपकने वाले गोंद में मौजूद केमिकल्स से स्किन को नुकसान हो सकता है.
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बिंदियों में कपड़े या प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं, जिन्हें पी-टर्शियरी ब्यूटाइल फिनोल (पीटीबीपी) से बने चिपकाने वाले पदार्थ से चिपकाया जाता है. खासतौर पर भारत जैसे गर्म और नमी वाली जगहों में इसका असर और भी ज्यादा हो सकता है.
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डॉक्टर्स के मुताबिक, लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से बिंदी ल्यूकोडर्मा नाम की बीमारी हो सकती है. ये बीमारी बिंदी लगाने वाली जगह पर सफेद दाग की समस्या पैदा करती है.
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दिल्ली के इन्फ्लुएंज क्लिनिक की डॉक्टर गीतिका श्रीवास्तव कहती हैं कि कई स्टडी बताती हैं कि बिंदी चिपकाने वाले गोंद में मौजूद कुछ केमिकल स्किन के रंग बनाने वाले सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे बिंदी लगाने वाली जगह का रंग फीका या सफेद पड़ जाता है.
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माथे पर जिस जगह आप बिंदी रोज लगाती हैं, वहां समय के साथ रंग उड़ने लगता है और ये विटिलिगो जैसा दिख सकता है. डॉ. श्रीवास्तव के अनुसार, आप जितनी देर तक चिपकने वाली बिंदी लगाती हैं , इस स्थिति के पैदा होने का जोखिम उतना ही ज्यादा होता है.
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सेंसिटिव स्किन वालों को सेल्फ-अडहेसिव बिंदियों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए. उन्हें जितना हो घर पर बनी या कुमकुम बिंदी ही लगानी चाहिए. हल्दी से बनाई गई कुमकुम बिंदी नेचुरल और अच्छी होती है.
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डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि कई रिसर्च से पता चलता है कि 4 में से 3 महिलाओं में डिपिगमेंटेशन शुरू होने से पहले ही एलर्जी शुरू हो जाती है. अगर समय रहते इस्तेमाल बंद कर दिया जाए तो ल्यूकोडर्मा से बचा जा सकता है.
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डॉ. श्रीवास्तव ने ऑर्गेनिक कुमकुम सबसे सुरक्षित ऑप्शन बताया है क्योंकि नेचुरल तरीकों से बनाई जाती है. इनमें कोई केमिकल नहीं होता है और ये स्किन के लिए सेफ होती हैं.
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बिंदी ही नहीं बल्कि सिंदूर भी सेंसिटिव लोगों के लिए ल्यूकोडर्मा का कारण बन सकता है, जिसमें एजो डाई हो सकती है.
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