20 Nov 2025
Photo: AI Generated/Instagram/@acharya_balkrishna
पिछले काफी समय से लोग RO का पानी पीते आ रहे हैं. उनका मानना है कि RO से निकला पानी सबसे सुरक्षित होता है. लेकिन अगर ये सोच गलत हुई तो? चौंकिए मत.
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आचार्य बालकृष्ण कहते हैं, 'हां, RO पानी साफ तो होता है, लेकिन इसमें एक बड़ी कमी रह जाती है. RO पानी से जब सभी मिनरल्स निकल जाते हैं, तो वो पानी तत्वहीन हो जाता है. यानी साफ तो है, लेकिन शरीर को ताकत देने वाली उसकी असली शक्ति खत्म हो जाती है.
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आचार्य बालकृष्ण बताते हैं कि आपकी एक आदत बन गई है हम पानी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए RO पर भरोसा करने लगे हैं. लेकिन असल में आप उल्टा कर रहे हैं.
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बीमारियों का असली कारण पानी की गंदगी नहीं, बल्कि सफाई की कमी और सही तरीके से पानी को संभालकर न रखना है. RO पानी भले ही साफ हो, लेकिन उसमें शरीर के लिए जरूरी नेचुरल तत्व नहीं रहते.
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वे कहते हैं कि आपके घरों में हमेशा से तांबे के बर्तन और मिट्टी के घड़े में पानी रखा जाता था. ये सिर्फ ट्रेडिशन नहीं थी, बल्कि इसके पीछे विज्ञान भी था. तांबे के बर्तन में रखा पानी बैक्टीरिया को मारता है और पानी को नेचुरल तरीके से जीवंत बनाता है.
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मिट्टी का घड़ा पानी को ठंडा रखता है और उसमें मौजूद मिनरल्स पानी को और भी हेल्दी बनाते हैं. वह कहते हैं कि अगर आपको लगता है पानी में किसी तरह की कोई भी इम्प्यूरिटी (बैक्टीरिया या वायरल) है तो बस पानी को अच्छी तरह उबाल लें.
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उबला हुआ पानी पीने के लिए सुरक्षित भी हो जाता है और इसके मिनरल्स भी बने रहते हैं. फिर इसे मिट्टी के घड़े या तांबे के बर्तन में ठंडा होने के लिए रखें. इससे पानी की नेचुरल गुणवत्ता भी सुरक्षित रहती है और स्वाद भी बेहतर होता है.
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आचार्य बालकृष्ण कहते हैं कि अब समय आ गया है कि आप RO के पीछे भागना छोड़कर अपनी पुरानी, वैज्ञानिक और सरल परंपराओं की ओर लौटें. मिट्टी के घड़े, तांबे के बर्तन और उबालकर पानी पीने की आदत को दोबारा घर-घर पहुंचाना चाहिए.
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ऐसे में जो लोग सिर्फ और सिर्फ RO का पानी पीते हैं और उसे सुरक्षित समझते हैं उन्हें ध्यान देने की जरूरत है.
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