13 Nov 2025
Photo: AI Generated/Instagram@acharya_balkrishna
आजकल लोग दांतों की चमक बरकरार रखने और सफाई के लिए तरह-तरह के टूथपेस्ट और ब्रश इस्तेमाल करते हैं. इसके बाद भी उन्हें मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है.
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लेकिन क्या आप जानते हैं, हमारे पूर्वज एक नॉर्मल पेड़ की टहनी से दांतों को न सिर्फ साफ करते थे, बल्कि उन्हें मजबूत और स्वस्थ भी रखते थे?
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पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने हाल ही में इस पुराने, आसान और असरदार उपाय का जिक्र किया है, जो आज भी उतना ही कारगर है. वो पेड़ की टहनी कौन सी है? चलिए जानते हैं.
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आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक, पुराने समय में लोग पेड़ों की ताजी शाखा का इस्तेमाल करते थे, जिसे 'दातुन' कहा जाता है. उन्होंने बताया कि ऐसे पेड़ों की डंडी से दातुन बनाया जाता था, जिनका स्वाद कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा) और कषाय (कसैला) होता है.
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ये पेड़ नीम, बबूल या करंज के होते थे. उनकी लगभग छह इंच लंबी और अंगुली जितनी मोटी टहनी दांतों की सफाई के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है.
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आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि ताजे पेड़ की शाखा लेकर उसके अगले हिस्से (लगभग 1–2 इंच) को चबा लें, जब तक वह ब्रश की तरह रेशेदार न हो जाए. इसी रेशेदार हिस्से से दांतों को धीरे-धीरे साफ करें.
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उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में इसे 'कुर्ची' कहा गया है यानी नेचुरल टूथब्रश. उनके अनुसार, दातुन से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं, मुंह की दुर्गंध दूर होती है और बैक्टीरिया का असर घटता है.
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रोजाना दातुन करने से टूथपेस्ट की जरूरत लगभग खत्म हो जाती है. आज भी गांवों में लोग इस देसी नुस्खे को इस्तेमाल कर रहे हैं और यही वजह है कि उनके दांत लंबे समय तक मजबूत रहते हैं.
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आचार्य बालकृष्ण कहते हैं, 'दातुन सिर्फ दांतों की सफाई का साधन नहीं है, ये शरीर के नेचर और संतुलन से जुड़ा विज्ञान है.'
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