13 Mar 2025
Credit: META
अंतरिक्ष को लेकर आपने भी कई बातें सुनी होगी, जैसे वहां जाने वाले लोगों की उम्र बहुत तेजी से बढ़ने लगती है या वहां जाकर लोगों की उम्र बढ़नी बंद हो जाती है.
अंतरिक्ष को लेकर कई मिथ भी हैं कि वहां जाने के बाद लोग सालों-साल पहले जैसे ही दिखते हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होता, तो चलिए जानते हैं क्या है सच.
क्या सच में स्पेस में एस्ट्रोनॉट की उम्र कम हो जाती है, इसको जानने के लिए नासा में 2015 में एक स्टडी किया.
यह स्टडी दो जुड़वा भाइयों पर किया गया. जुड़वा भाई में से एक स्कॉट कैली को स्पेस मिशन पर भेजा गया और उनका आइडेंटिकल ट्वीन यहीं धरती पर रहा.
इस स्टडी पर 12 यूनिवर्सिटी के 84 रिसर्चर काम कर रहे थे. कैली के स्पेस जाने से कई महीने पहले ही दोनों भाइयों के ब्लड-यूरिन और कई तरह के ब्लड सैंपल लिए गए और कई तरह के जांच किए गए, ताकि पता लग सके कि दोनों के बायोलॉजिकल एज कितनी कितनी एक जैसी है.
स्कॉट के अंतरिक्ष में पहुंचे ही उनके शरीर में 1 हजार जीन्स में बदलाव देखने को मिला, जिसमें सबसे बड़ा बदलाव टेलोमेयर में दिखा.ये क्रोमोसोम के सिरों में मौजूद एक प्रोटीन होता है, जो इसकी हर कॉपी बनने के साथ घटता जाता है.
जैसे-जैसे डीएनए छोटा होता जाता है, कोशिकाओं में एजिंग दिखने लगती है. टेलोमेयर का यही डीजेनरेशन इंसान को बूढ़ा दिखाने लगता है. वहीं, स्पेस में पाया गया कि डीएनए का साइज लंबा हो रहा है.
सालभर लंबी स्पेस यात्रा के दूसरे चरण में ये प्रक्रिया और तेज हो गई. यानी सीधे-सीधे डीएनए के फिजिकल स्ट्रक्चर में वो बदलाव आया, जो धरती पर मुमकिन नहीं था.
स्पेस में गए लोग धरती पर मौजूद लोगों की उम्र से लोगों से कई गुना ज्यादा युवा दिखाने लगा. इससे पहले माना जा रहा था कि स्पेस का एक्सट्रीम वातावरण टेलोमेयर को छोटा करके उम्र घटा देगा.
ट्विन स्टडी के दौरान अंतरिक्ष में भेजे गए यात्री की उम्र धरती पर मौजूद भाई से कम लगने लगी. वे ज्यादा युवा दिखते थे. उनके 91.3% जीन एक्टिविटी में बदलाव बदलाव आ चुका था.
धरती पर लौटने के बाद स्पेस ट्रैवलर चलने, बैलेंस बनाने में मुश्किल झेलते हैं. ज्यादातर यात्री लंबे समय तक बोलने और लोगों से मिलने-जुलने में दिक्कत झेलते रहे. यहां तक कि लगभग आंखें भी काफी कमजोर गई.
हालांकि, ये बदलाव समय के साथ सामान्य हो गए थे, यानि की जो भाई स्पेस में गया था, स्पेस से लौटने पर वे जवान दिख रहा था. लेकिन, 6 महीने में ही वो उसी की तरह बूढ़े दिखने लगे.
इसके साथ ही अंतरिक्ष में वजन का घटना सामान्य बात है. स्पेस में इंसान के शरीर का मेटाबॉलिज्म तेजी से काम करता है, जिससे उन्हें ज्यादा कैलोरी की जरूरत पड़ती है.