06 Oct 2025
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प्राचीन भारतीय ग्रंथों में सरस्वती नदी का अनेकों बार जिक्र है. माना जाता है कि यह 5000 साल पहले सूख गई थी.
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कहा जाता है कि यह नदी गंगा नदी से भी 80 गुना बड़ी थी, लेकिन भारत में एक जगह है जहां सरस्वती नदी नजर आती है.
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यह नदी हिमालय से निकलने वाली सरस्वती नदी ने वैदिक काल (8000-5000 ईसा पूर्व) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो अरब सागर में मिलने से पहले पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान और गुजरात से होकर बहती थी.
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इसके तटों पर हड़प्पा सभ्यता के स्थलों की खोज प्राचीन संस्कृतियों के पोषण में इसके महत्व को रेखांकित करती है.
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आइए जानते हैं भारत में सरस्वती नदी के दर्शन कहां कर सकते हैं.
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आधुनिक वैज्ञानिक उपकरण बताते हैं कि यह अभी भी थार रेगिस्तान के नीचे भूमिगत रूप से बह रही होगी.
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थार रेगिस्तान के नीचे अब ऐसी पुरानी सूखी नदियों (नहरों) के निशान मिले हैं, जो सरस्वती नदी के बताए गए रास्ते से मेल खाते हैं. वैज्ञानिकों ने ये जानकारी सुदूर संवेदन तकनीक (satellite remote sensing) और भूवैज्ञानिक जांच के ज़रिए पाई है.
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प्राचीन काल से यह मान्यता चली आ रही है कि प्रयागराज में त्रिवेणी यानी तीन नदियों का संगम है. यह तीन नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती हैं.
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माना जाता है कि संगम में अभी भी सरस्वती नदी का भी जल बह रहा है.
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इसके अलावा सरस्वती नदी अब उत्तराखंड के माणा गांव के पास दिखती है, जहां यह अलकनंदा नदी से मिलती है.
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यहां लोग सरस्वती नदी को देखने और सरस्वती नदी का आर्शीवाद लेने जाते हैं.
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