08 Oct 2025
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सरस्वती नदी आज भी एक रहस्य बनी हुई है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सरस्वती नदी को एक पवित्र नदी, ज्ञान और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है, जो धीरे धीरे विलुप्त हो गई.
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हिमाचल प्रदेश के माना गांव में सरस्वती नदी की धारा नजर आती है वहां लाखों लोग दर्शन करने पहुंचते थे.
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माना जाता है कि सरस्वती नदी पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात से होकर बहती हुई अरब सागर में मिलती थी.
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सालों पहले यह नदी दिल्ली के पास भी बहती थी.
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शोध बताते हैं कि सरस्वती नदी शायद दिल्ली के पश्चिम से बहती थी और आज की घग्गर हकरा नदी के रास्ते पर चली जाती थी.
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कुछ पैलियोचैनल (पुरानी सूखी नदी तलहटी) जो सरस्वती के मार्ग का हिस्सा मानी जाती हैं, नजफगढ़, गुड़गांव और हरियाणा के कुछ हिस्सों के पास पाए गए हैं.
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ऐसा माना जाता है कि सरस्वती प्राचीन काल में दिल्ली के पास यमुना में मिल गई थी और फिर टेक्टोनिक बदलावों और जलवायु परिवर्तन के कारण भूमिगत रूप से लुप्त हो गई या सूख गई.
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सरस्वती नदी जलवायु और विवर्तनिक परिवर्तनों के कारण विलुप्त हो गई, जिससे हिमालय के जल स्रोत बदल गए और उसका मार्ग बदल गया.
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जैसे-जैसे इस क्षेत्र की जलवायु में परिवर्तन हुआ, हिमनदों से पोषित यह नदी वर्षा-आधारित मौसमी नदी में बदल गई और अंत में सूख गई.
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