11 October 2025
Photo: AI Generated
औरंगजेब एक ताकतवर मुगल बादशाह थी. उनकी चर्चा आज भी होती है. वहीं उनका पोता और आठवें मुगल बादशाह ठीक उनके विपरीत थे.
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औरंगजेब के पोते और मुगल बादशाह जहांदार शाह का शासन 1712 -13 तक रहा. वह सिर्फ एक साल के लिए गद्दी पर बैठे.
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सत्ता हाथ में आते ही दरबार में उथल-पुथल का दौर शुरू हो गया. उनके हाथ से शासन का नियंत्रण निकलने लगा.
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शक्तिशाली सरदार सत्ता पर अपना प्रभाव बढ़ाने लगे थे. अपने दादा के उलट जहांदार शाह एक कमजोर शासक साबित हुए.
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जहांदार शाह नाममात्र के लिए शासन करते थे. इस काल को अक्सर सैय्यद बंधुओं का शासन काल कहा जाता है.
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जहांदार शाह के शासनकाल पर सैय्यद बंधुओं, अब्दुल्ला खान और हुसैन अली खान का गहरा प्रभाव था.
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जहांदार शाह अपनी फिजूलखर्ची और भोग-विलास की जीवनशैली के लिए जाने जाते थे.
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उन्होंने मनोरंजन, दरबारी सुख-सुविधाओं और व्यक्तिगत भोग-विलास पर बेतहाशा खर्च किया, जिससे शाही खजाना खाली हो गया.धन की कमी से साम्राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई.
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जहांदार शाह के शासनकाल के दौरान, शिवाजी के पोते शाहू के नेतृत्व में मराठों ने दक्कन में मुग़ल सत्ता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया.
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जहांदार शाह को अपने शासन में आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. खासकर अपने भतीजे फर्रुखसियर से चुनौती मिली, जो सत्ता चाहता था.
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1713 की शुरुआत में फर्रुखसियर की वफादार सेना ने जहांदार शाह की सेना को हरा दिया.
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जंग में हार के जहांदार शाह को पकड़ लिया गया और उन्हें फांसी दे दी गई.
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