1 Sep 2025
Photo: AI Generated
घर या बिल्डिंग बनाने में वैसे तो लोहे वाली सरिया के पिलर लगाए जाते हैं, लेकिन अब लोग लोहे वाले सरिया की जगह फाइबर वाली सरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं.
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दोनों में अतंर क्या है, क्या सस्ता पड़ता है और क्या ज्यादा मजबूत है. आइए आपको बताते हैं.
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सबसे पहले तो यह समझिए कि फाइबर वाली सरिया फाइबर ग्लास और रेजिस से मिलकर बनाई जाती है. इन दोनों को मिलाकर बनता है GFRP Bars.
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GFRP बार वजह में लोहे की सरिया के मुकाबले हल्का होता है. इस वजह से ट्रांसपोर्टेशन और साइट हैंडलिंग में कम खर्चा होता है.
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GFRP बार का दूसरा फायदा है Corrison Resistance. दरअसल, सरिये में जल्दी जंग लग जाती है लेकिन फाइबर वाली सरिया में ऐसा नहीं है.
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इसलिए कहा जाता है कि लोहे वाली सरिया के मुकाबले फाइबर का सरिया लम्बे समय तक चलती है.
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फाइबर के सरिया में लोहे के सरिया के मुकाबले दो गुना Tensile Strength मिलती है. यानी कि फाइबर की सरिया ज्यादा मजबूत होती है.
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हालांकि, फाइबर सरिया को मोड़ने के बाद सीधा किया जाए को इसमें क्रैक दिखाई देने लगते हैं लेकिन लोहे की सरिया में ऐसा नहीं है.
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इमारत बनाने में कई बार सरिए को मोड़ना पड़ता है. ऐसे में यह दिक्कत फाइबर वाली सरिया के साथ आती है.
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भारत में, GFRP की कीमत में काफ़ी अंतर होता है, लेकिन औसतन, आपको प्रति किलोग्राम ₹150 से ₹300 के बीच फाइबर सरिया मिल जाएगी.
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वहीं, लोहे वाली सरिया एक किलो 50 या 60 रुपये तक पड़ती है लेकिन क्वांटिटी के हिसाब से ज्यादा पैसों में फाइबर वाली सरिया की मात्रा ज्यादा मिल जाती है.
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