15 June 2025
अहमदाबाद में हुए विमान हादसे (Ahmedabad Plane Crash)ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है .
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इस हादसे में 265 लोगों की जान चली गई हैं. लेकिन, क्या आपने कभी गौर किया है कि ज्यादातर प्लेन हादसे लैंडिंग और टेक ऑफ के वक्त ही क्यों होते हैं?
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इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के मुताबिक, 2005 से 2023 के बीच सबसे ज्यादा प्लेन हादसे (53%) लैंडिंग के वक्त हुए.
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आपको बता दें कि प्लेन के उड़ान की शुरुआत और आखिर में हादसा होने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं.
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इसका सबसे बड़ा कारण है कि लैंडिंग और टेक ऑफ के दौरान पायलट के पास स्थिति से निपटने के लिए बहुत कम समय होता है.
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लैंडिंग और टेक ऑफ के वक्त प्लेन कम ऊंचाई पर होता है, इसलिए पायलट के पास दुर्घटना की स्थिति से बचने के लिए बहुत कम वक्त होता है.
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जब 36,000 फीट की ऊंचाई पर प्लेन उड़ान भरता है, यानी जब वो क्रूज फेज में होता है तो पायलट के पास सही रास्ता तय करने के लिए पर्याप्त समय और स्थान होता है.
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इस वक्त अगर किसी कारण से दोनों इंजन बंद भी हो जाते हैं तो भी प्लेन अचानक आसमान से नीचे नहीं गिरेगा.
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ऐसी स्थिति में पायलट के पास प्लेन उतारने के लिए लगभग आठ मिनट तक का समय होता है. वहीं, अगर लैंडिंग या टेकऑफ के दौरान ऐसा होता है तो पायलट के पास समय काफी कम होता है.
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दूसरी तरफ, पायलट के लिए लैंडिंग भी काफी चुनौतीपूर्ण होता है. इस वक्त पायलट को हवा की स्पीड और दिशा से लेकर, प्लेन कितना भारी है, ये भी ध्यान में रखना पड़ता है.
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साथ ही उसे स्पीड के बारे में लगातार निर्णय लेने पड़ते हैं. माना जाता है कि ज्यादातर प्लेन हादसे, खासकर लैंडिंग फेज के दौरान, पायलट की गलती के कारण होते हैं.
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वहीं, जब प्लेन कम ऊंचाई पर होते हैं तो इनके पक्षियों से टकराने और खराब मौसम का सामना करने की आशंका भी ज्यादा होती है.
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