05 JUL 2025
By Business Team
छंटनी का ऐलान करने के बाद Microsoft जांच के घेरे में आ गया है. हाल ही में इस टेक कंपनी ने 9000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है.
आरोप है कि कम सैलरी के लिए माइक्रोसॉफ्ट अमेरिकी कर्मचारियों को निकालकर विदेशी कर्मचारियों को भर रही है.
विदेशी कर्मचारियों को लाने के लिए ये कंपनी H-1B सिस्टम का लाभ उठा रही है, जिस कारण अमेरिका को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
हालांकि इस दावे को भारतीय मूल के टेक इन्फ्लुएंसर देबर्घ्य 'डीडी' दास ने चुनौती दी है, जो तर्क देते हैं कि यह एक भ्रामक तथ्य है.
दास के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट की ज्यादातर H-1B याचिकाएं नवीनीकरण वाली हैं, जिन्हें हर तीन साल में दाखिल किया जाना चाहिए.
दास ने कहा कि 2024 में, माइक्रोसॉफ्ट के पास लगभग 1,200 नए H-1B आवेदन थे, जो सभी H-1B याचिकाओं का लगभग 25%, नए कर्मचारियों का 10% और कंपनी के कुल कर्मचारियों का केवल 0.5% था.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माइक्रोसॉफ्ट ने '9000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया और उनकी जगह 14,181 H-1B लोगों को रखा' एक भ्रम पैदा करने वाला तथ्य है.
जांच तब और तेज हो गई जब रिपोर्ट में दावा किया गया कि माइक्रोसॉफ्ट एच-1बी, एच-1बी1 और ई-3 वीजा के लिए शीर्ष आवेदकों में से एक है, जिसके लिए 14,181 आवेदन दाखिल किए गए हैं.
माइक्रोसॉफ्ट के नए कर्मचारियों और यह आंकड़ा छंटनी के बीच विवाद को पैदा करता है. आलोचकों का तर्क है कि वीजा आवेदनों और छंटनी का समय एक जैसे दिख रहा है, जिससे माइक्रोसॉफ्ट पर संदेह पैदा हो रहा है.
कहा जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट ने अभी-अभी हजारों अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की है...फिर भी उन्होंने इस साल पहले ही 14,181 और एच-1बी कर्मचारियों की मांग की है, और यह केवल दूसरी तिमाही है.