29 Dec 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
बढ़ती ठंड में जहां आम लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं. वहीं, गेहूं के किसान खुश हैं.
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रबी की यह फसल अक्टूबर के अंत से नवंबर तक बोई जाती है. इस फसल के लिए ठंड का मौसम काफी अहम होता है.
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दरअसल, दिसंबर से जनवरी के बीच पड़ने वाला संतुलित मात्रा में कोहरा गेहूं की पैदावार में बड़ी भूमिका निभाता है.
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कोहरे की माइक्रो वॉटर कंटेंट्स हवा में लंबे समय तक बने रहते हैं और पौधों व मिट्टी की ऊपरी सतह पर जमते हैं. इससे खेत में वाष्पीकरण की गति कम होती है और नमी लंबे समय तक बनी रहती है.
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इस नमी का सीधा फायदा यह होता है कि पानी की खपत कम होती है, जिससे सिंचाई का अंतराल बढ़ जाता है. वहीं, कोहरा सूरज की तेज किरणों को सीधे खेत तक पहुंचने से भी रोकता है.
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दिन का तापमान अचानक नहीं बढ़ता, जिससे गेहूं की बढ़वार के लिए जरूरी तापमान का बैलेंस बना रहता है. ठंडा और नम वातावरण गेहूं की टिलरिंग स्टेज के लिए सबसे बेहतर माना जाता है.
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तापमान का संतुलन की वजह से फसल अपनी ऊर्जा नई शाखाएं निकालने में लगाता है. इससे प्रति वर्ग मीटर बालियों की संख्या बढ़ती है, जो उपज बढ़ाने का अहम आधार है.
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बहुत ज्यादा गर्मी ग्रेन फिलिंग के समय दानों को हल्का और सिकुड़ा बना देती है. कोहरे के कारण तापमान और नमी संतुलित रहता है.
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इस संतुलन की वजह से दाने धीरे-धीरे और पूरी क्षमता के साथ भरते हैं. इससे हजार दानों का वजन बढ़ता है और फसल की गुणवत्ता सुधरती है.
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लेकिन ज्यादा कोहरे के कारण खेत में नमी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में फफूंद रोग तेजी से फैलते हैं. फसल की नियमित निगरानी और समय पर छिड़काव पर ध्यान देना चाहिए.
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