11 Nov 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि शरदकालीन यानी रबी सीजन गन्ने की बुवाई 15 नवंबर तक हो जानी चाहिए.
Credit: Pixabaye
कृषि एक्सपर्ट की मानें तो फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 12 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें. बुवाई के 25 से 30 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई जरूर करें.
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गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए सही किस्मों का चयन जरूरी है. देर से पकने वाली उन्नत प्रजातियों में को.शा. 767, को.शा. 802, को.शा. 07250, को.शा. 7918 और सीओएलके 8102 अच्छी मानी जाती हैं.
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उत्तर-पूर्व और उत्तर-मध्य भारत के लिए सीओ 0232 और सीओ 0233 उपयुक्त किस्में हैं. वहीं सूखा या नमी तनाव सहन करने वाली प्रजातियों में संकेश्वर 049, संकेश्वर 814, सीओबीआईएन 02173 और सीओ 0212 शामिल हैं.
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जलभराव या बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए संकेश्वर 049, संकेश्वर 814, गुजरात राज्य 5, गुजरात राज्य 7, डूबे 08323, प्लास्टिक 09204 और गंगा लाभ 10346 जैसी प्रजातियां उपयुक्त रहती हैं.
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लवणीय मृदा में संकेश्वर 814, सीओ 0212 और दिव्यांशी-सीओएन 15071 अच्छी पैदावार देती हैं. तो वहीं ठंड या पाला सहन करने वाली प्रजातियों में सीओ 16030 (करन एल 6) प्रमुख है.
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फसल की पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए 20 किलो संवर्धित ट्राइकोडर्मा को 200 किलो गोबर की खाद या प्रेसमड के साथ मिलाकर खेत की नालियों में डालें.
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इससे पेड़ी का फुटाव बेहतर होता है. अगर मिट्टी की जांच नहीं कराई गई है तो एनपीके 300:100:200 किलो प्रति हेक्टेयर की सामान्य अनुशंसा अपनाएं.
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वहीं, पेड़ी प्रबंधन के लिए गन्ने की कटाई सतह से करें, ताकि फुटाव अच्छा हो. कटाई के बाद ठूंठों पर 12 मिली इथरेल को 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें.
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पेड़ी पंक्तियों के पास गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 200 किलो यूरिया, 130 किलो डीएपी और 100 किलो पोटाश डालें. इसके अलावा कटाई के एक सप्ताह बाद खेत में सिंचाई करें.
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इस तरह इन उपायों को अपनाकर किसान रबी गन्ने की फसल से अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता हासिल कर सकते हैं.
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