23 October 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है, क्योंकि इसके बिना ज्यादातर सब्जियों का स्वाद अधूरा लगता है. चाहे सूखी सब्जी हो, ग्रेवी वाली.
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आलू भारत की एक प्रमुख खाद्य फसल है. इसकी खेती देश के लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है.
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आलू जितनी आसानी से हर जगह मिलता है, इसकी खेती उतनी ही चुनौतीपूर्ण होती है.
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अगर कुछ खास बातों का ध्यान ना रखें तो उत्पादन चौपट हो सकता है. इसकी उपज तापमान और जलवायु पर निर्भर करती है.
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आलू की खेती मैदानी इलाकें में अक्टूबर से नवंबर में और पहाड़ी इलाकों में जनवरी से फरवरी और अप्रैल से लेकर जून तक की जाती है.
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आलू के अच्छे अंकुरण के लिए 24-25 डिग्री और उत्पादन और वानस्पतिक वृद्धि के लिए 18-20 डिग्री सेल्सियस का औसत तापमान अनुकूल माना जाता है.
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वहीं, कंद निर्माण के लिए 17-20 डिग्री सेल्सियस जरूरी है. बुआई से पहले बीज कंद को कोल्ड स्टोरेज से निकालकर 10-15 दिनों तक छायादार स्थान पर रखें.
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अक्टूबर में आलू की कुफरी नीलकंठ, कुफरी सह्याद्रि, कुफरी करन, कुफरी ख्याति, कुफरी लवकार, कुफरी चन्द्रमुखी किस्मों की बुआई की जाती है.
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वहीं, कुफरी हिमसोना, कुफरी सिन्दूरी, कुफरी शीतमान, कुफरी स्वर्ण और कुफरी गिरिराज किस्मों की बुआई अक्तूबर के अंत तक जरूर कर लेनी चाहिए.
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आलू की ये किस्में बुआई से लेकर कटाई तक करीब 90 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 320-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
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आलू में पोषण की मात्रा ज्यादा होती है. विशेष तौर पर एंथोसायनिन उच्च मात्रा में होता है.
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