28 Oct 2025
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पपीते के पौधे को कई बार रोग और कीटों के कारण नुकसान पहुंच सकता है. लाल मकड़ी, तना गलन, डंपिंग ऑफ और लीफ कर्ल जैसी बीमारियों से पपीता खराब हो सकता है. आइए जानते हैं इन समस्याओं से बचने के लिए आप क्या उपाय कर सकते हैं.
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पपीते को लगाना और छोटी जगह में तैयार करना आसान बताया जाता है. लेकिन कई बार रोग या कीट इसके फलों सहित पूरे पौधे को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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एक्सपर्ट बताते हैं कि इन समस्याओं का समाधान काफी सरल हो सकता है, यदि आपको कुछ खास कीटनाशकों की जानकारी है तो आप उन्हें अपनाकर फसल नुकसान होने से बचा सकते हैं.
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लाल मकड़ी जिसे फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में से एक बताया जाता है. इस कीट की वजह से फल खुरदुरे और काले हो सकते हैं.
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इनसे बचने का सही उपाय यह बताया जाता है कि जिन पत्तियों पर लाल मकड़ी ने खराब किया है, उन्हें तोड़कर दूर किसी गड्ढे में दबा दिया जाए.
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तना गलन रोग की वजह से पौधे के तने का ऊपरी छिलका पीला हो सकता है. इसका गलन धीरे-धीरे पौधे की जड़ तक पहुंचकर पौधे को सूखा सकता है.
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इससे बचने के लिए आप जल जमाव को रोक सकते हैं और इसके साथ ही तने के चारों तरफ बोडो मिश्रण (6:6:50) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (0.3 प्रतिशत), टाप्सीन-एम (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव कर सकते हैं.
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लीफ कर्ल रोग एक विषाणु जनित रोग बताया जाता है जो सफेद मक्खियों से फैल सकता है.
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आप सफेद मक्खियों से बचने के लिए डाइमिथोएट 1 मि.ली. का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं.
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इस रोग के कारण फलों के ऊपर छोटे गोल गीले धब्बे बन सकते हैं. इस वजह से फलों का रंग भूरा या काला भी हो सकता है.
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इस रोग से बचने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.0 ग्राम प्रति लीटर या मेन्कोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर का पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है.
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