09 Sep 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
मॉनसून के महीने में पशुओं की देखभाल करना कठिन हो जाता है क्योंकि इस मौसम में पशुओं को कई बीमारियां होती हैं और उनकी भूख भी कम हो जाती है.
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इससे दूध उत्पादन भी घटता है और पशु कमजोर पड़ जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालक पारंपरिक उपायों से अपने पशुओं की सेहत और भूख बढ़ाते हैं.
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बारिश के मौसम में हरा चारा और भूसा ठीक से नहीं खाने से पशु कमजोर हो जाते हैं.
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अजवाइन और गुड़ का मिश्रण खाने से पशुओं का पाचन ठीक रहता है और भूख बढ़ती है.
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हींग वाला पानी पिलाने से गैस, अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं, खासकर भैंसों के लिए लाभकारी.
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मेथी और सरसों की खाली खिलाने से मॉनसून में पशुओं को ताकत मिलती है और भूख बढ़ती है.
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अदरक का रस देने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पशु अधिक चारा खाने लगते हैं.
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समय-समय पर नमक का घोल या नमक का ढेला देने से भी पशुओं की भूख बढ़ती है.
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मॉनसून के दौरान इन सावधानियों और प्राकृतिक इलाजों से पशुओं की सेहत बनी रहती है और दूध का उत्पादन भी निरंतर बना रहता है.
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किसान इन सरल उपायों को अपनाकर मॉनसून में भी अपने पशुओं का बेहतर ख्याल रख सकते हैं.
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