19 Nov 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
सर्दियों में कच्ची हल्दी शरीर को गर्म रखने, सर्दी-जुकाम से बचाने और इम्युनिटी बढ़ाने में बेहद असरदार मानी जाती है.
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इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण इसे सर्द मौसम का प्राकृतिक टॉनिक बनाते हैं. खास बात यह कि थोड़ी-सी जगह में आप इसे घर पर ही गमले में उगा सकते हैं.
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ताज़ी, मोटी और आंखों वाली हल्दी लें. सूखी या सिकुड़ी हल्दी न लें.
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10–12 इंच गहरा गमला लें. मिट्टी में 40% गार्डन सॉइल + 40% गोबर खाद/कम्पोस्ट + 20% रेत मिलाएं. मिट्टी ढीली और ड्रेनेज वाली होनी चाहिए.
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हल्दी को टुकड़ों में काटें, हर टुकड़े में 1–2 आंखें हों. इन्हें 2–3 इंच गहराई में लगाकर ऊपर मिट्टी डाल दें. ज्यादा दबाएं नहीं.
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शुरुआत में हल्का पानी दें. बाद में मिट्टी नमीदार रखें, पर गीली न होने दें. हल्दी को हल्की धूप यानी 2–3 घंटे की रोशनी काफी है.
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महीने में एक बार कम्पोस्ट या तरल खाद दें. नीम के पानी का स्प्रे कीड़ों से बचाता है.
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लगाने के 7–9 महीने बाद जब पत्तियां पीली होने लगें, तो हल्दी खुदाई के लिए तैयार है. गमला पलटकर या हाथ से मिट्टी हटाकर ताज़ी हल्दी निकाल लें.
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