17 October 2025
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क
चना की बुआई रबी सीजन में बड़े पैमाने पर की जाती है. यह फसल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करती है.
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बुआई के बाद फसल की अच्छी देखभाल बहुत जरूरी है. यदि कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें, तो कम खर्च में अधिक पैदावार मिल सकती है.
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चना बोने के बाद सबसे पहली जरूरत है कि खेत में नमी का स्तर संतुलित बना रहे. चना को अधिक पानी की जरूरत नहीं.
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मिट्टी में अधिक नमी रहने पर पौधों की जड़ें गलने का खतरा बढ़ जाता है. बुआई के बाद खेत में पानी का ठहराव नहीं होना चाहिए.
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बुआई के कुछ दिनों में ही अंकुरण निकलने लगता है. इसलिए बुआई के 25 से 30 दिन के भीतर पहली गुड़ाई-निराई करना जरूरी है.
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चने की फसल को बीमारियों और कीटों से भी बचाना जरूरी है. पौधों में बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत उपाय करना चाहिए.
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कीटों से बचाव के लिए नियमित निगरानी करनी चाहिए. कीट से छुटकारा पाने के लिए फेरोमोन ट्रैप और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग फायदेमंद होता है.
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बुआई के बाद शुरुआती दिनों में चना अधिक खाद ना दें. फूल आने और फलियां बनने के समय ही डीएपी, जिंक और सल्फर जैसे खाद का इस्तेमाल करना चाहिए.
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जैविक खाद या वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करने से फसल के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी बेहतर बनी रहती है.
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कटाई से लगभग 15 दिन पहले सिंचाई रोक देना चाहिए, ताकि दाने अच्छे से पक सकें और गुणवत्ता भी बढ़े.
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फसल की समय पर सिंचाई और सही देखभाल करने से उत्पादन दोगुना हो सकता है.
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